इसका गठन डॉ. यशपाल की अध्यक्षता में 1992 में बच्चों पर एकेडेमिक बोझ कम करने हेतु की गयी थी।
इसने 1993 में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में बच्चों और अध्यापकों के अनुपात को कम करने, प्राथमिक स्तर पर बच्चों को गृह कार्य की प्रथा समाप्त करने, रटने पर बल समाप्त करने हेतु क्विज टाइप प्रश्नों को प्रचलन में लाने, शैक्षिक नवाचारों हेतु स्वैच्छिक संगठनों की सहायता प्राप्त करने एवं पाठ्यक्रम और पर्यवेक्षण का विकेंद्रीकरण करने पर जोर दिया।