डॉ. के. कस्तूरीरंगन समिति 2017

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जून 2017 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में नई शिक्षा नीति के लिए एक समिति का गठन किया।

समिति ने अपनी रिपोर्ट मई 2019 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपी। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने नई शिक्षा नीति-2019 का मसौदा जारी किया है।

समिति की मुख्य सिफारिश निम्नलिखित हैं-

  • स्कूली शिक्षा में अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन के साथ पाठ्यक्रम और शैक्षिक संरचना को स्कूली शिक्षा के अभिन्न अंग के रूप में शामिल करके एक पुनर्गठन का प्रस्ताव।
  • 3-18 वर्ष के बच्चों को शामिल करने के लिए शिक्षा के अधिकार 2009 को विस्तृत करना।
  • बच्चों के ज्ञानात्मक और सामाजिक-भावनात्मक विकास के चरणों के आधार पर एक 5+3+3+4 पाठ्यक्रम और शैक्षणिक संरचना का प्रस्ताव।
  • स्कूली शिक्षा पाठ्य सामग्री को कम करना तथा इसमेंकला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा आदि सभी विषय पाठ्यक्रम में शामिल करना।

राज्ष्ट्रीय संचालन समिति (NSC)

शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा (NCF) तैयार करने के लिए के- कस्तुरीरंगन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय संचालन समिति (NSC) का गठन किया है। उन्होंने ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की प्रारूप समिति की भी अध्यक्षता की थी।

NSC की विशेषताएं: समिति चार NCF विकसित करेगी यथा स्कूली शिक्षा, बाल्यकालीन देखभाल और शिक्षा, शिक्षक शिक्षा व प्रौढ़ शिक्षा।

  • सभी NCF भविष्य के लिए संबंधित क्षेत्रों पर कोविड-19 महामारी जैसी स्थितियों के प्रभावों पर भी विचार करेंगे।
  • राज्य पाठ्यक्रम रूपरेखा (SCF) से इनपुट प्राप्त किए जा सकते हैं।
  • NCF, संपूर्ण देश के विद्यालयों में पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों, शिक्षण और अधिगम प्रथाओं के लिए एक दिशा-निर्देश के रूप में कार्य करता है। यह स्कूली शिक्षा की भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति करने का प्रयास करता है।
  • NCF को अंतिम बार वर्ष 2005 में तैयार किया गया था और इसे वर्ष 1975, वर्ष 1988 और वर्ष 2000 में संशोधित किया गया था।
  • राज्य सरकारें भी राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) की भागीदारी के माध्यम से अपने स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित करने में NCF का अनुपालन करती हैं। राज्यों की ये परिषदें SCFS तैयार करती हैं।
  • NCF, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 को लागू करने की प्रक्रिया का हिस्सा है।
  • NEP-2020 ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-1986 को प्रतिस्थापित किया है। इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% सकल नामांकन अनुपात (GER) के साथ पूर्व-विद्यालय स्तर से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा का सार्वभौमीकरण करना है।
  • स्तरहीन शिक्षण-शिक्षण संस्थानों को बंद करने और सभी शिक्षण कार्यक्रमों को बडे़ बहुविषयक विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित करके शिक्षक-शिक्षण के क्षेत्र में परिवर्तन तथा 4 वर्षीय एकीकृत चरण वाले विशिष्ट बी-एड- कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षकों को न्यूनतम डिग्री की योग्यता प्राप्त करना।
  • भारतीय और शास्त्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने तथा पाली, फारसी और प्राकृत के लिए तीन नए राष्ट्रीय संस्थानों और एक भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान की स्थापना की सिफारिश।

शिक्षा संबंधित अन्य समितियां

ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में शैक्षिक सुधार

  • 1813 ई. के चार्टर अधिनियमः सरकार को प्रतिवर्ष शिक्षा पर एक लाख रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया।
  • चार्ल्स वुड डिस्पैच 1854: लॉर्ड डलहौजी ने वर्ष 1854 में सर चार्ल्स वुड की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में भावी शिक्षा के लिए वृहत योजना तैयार करना था। इसे ‘भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा’ कहा गया।
  • हंटर कमीशन 1882: लॉर्ड रिपन के वर्ष 1882 में डब्ल्यू. डब्ल्यू. हंटर की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था।
  • सैडलर आयोग 1917: ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1917 में डॉ. माइकल सैडलर की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया; जिसमें दो भारतीय आशुतोष मुखर्जी एवं डॉ. जियाउद्दीन अहमद
  • सदस्य थे।
  • हर्टोग समिति 1929: सरकार ने शिक्षा के विकास पर रिपोर्ट देने के लिए वर्ष 1929 में फिलिप हर्टोग की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया।
  • वर्धा योजना 1937: अक्टूबर 1937 में वर्धा में आयोजित ‘अखिल भारतीय शिक्षा सम्मेलन’ द्वारा शिक्षा पर प्रस्तुत योजना तथा गांधीजी द्वारा ‘हरिजन’ पत्र में शिक्षा पर लिखे गये लेखों के आधार पर बुनियादी शिक्षा की ‘वर्धा योजना’ प्रस्तुत किया गया।
  • इसके तहत सात से चौदह वर्ष के बच्चों के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था, शिक्षा का माध्यम मातृभाषा तथा छात्र की रुचि के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया।
  • सर्जेण्ट योजना 1944: वर्ष 1944 में भारत सरकार के शिक्षा सलाहकार सर जॉन सर्जेण्ट ने शिक्षा पर अपनी सिफारिश प्रस्तुत की।
  • इसने देश में प्रारंभिक विद्यालय एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय स्थापित करने, 6 से 11 वर्ष तक बालक-बालिकाओं के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करने तथा उच्च विद्यालय में विद्या विषयक तथा प्राविधिक एवं व्यावसायिक विद्यालय के प्रावधान पर जोर दिया।