शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2021

नवंबर 2021 को शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2021 (16वां संस्करण) जारी की गई। सर्वेक्षण में सीखने की प्रक्रिया पर कोविड-19 के प्रभाव का विश्लेषण किया गया।

  • यह निजी ट्यूशनों पर निर्भरता में वृद्धि और स्मार्टफोन तक पहुंच की अनुपस्थिति को दर्शाता है। विशेष रूप से छोटी कक्षाओं में सीखने के नुकसान की भरपाई में मदद करने के लिये विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

शिक्षा की वास्तविक स्थिति रिपोर्ट (ASER)

  • यह ‘प्रथम’ नामक एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा संचालित होती है। इस वार्षिक सर्वेक्षण का उद्देश्य भारत के प्रत्येक जिले और राज्य के लिए बच्चों के नामांकन और बुनियादी अधिगम (सीखना) स्तर का विश्वसनीय अनुमान प्रदान करना है।
  • ASER भारत के सभी ग्रामीण जिलों में वर्ष 2005 से प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
  • यह भारत में सबसे बड़ा नागरिक-नेतृत्व वाला सर्वेक्षण है।
  • अधिकांश अन्य बड़े व्यापक अधिगम आकलनों के विपरीत, ASER स्कूल-आधारित की बजाय घरेलू-आधारित सर्वेक्षण है।
  • महामारी के संदर्भ में, ASER केंद्र ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में वर्ष 2020 में सीखने के अवसरों तक पहुंच पर अपना ध्यान केंद्रित किया था

ASER 2021 रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं: वर्ष 2018 और वर्ष 2021 के बीच सभी कक्षाओं में बालक और बालिकाओं दोनों के नामांकन में निजी से सरकारी स्कूलों की ओर "शफ्रटय् का एक पैटर्न दिखाई दिया है।

  • ट्यूशन लेने वाले बच्चों का अनुपात वर्ष 2018 से वर्ष 2021 तक बढ़ गया है। ज्यादातर वंचित परिवारों में। सर्वाधिक वंचित परिवारों के बच्चों में ट्यूशन लेने की प्रवृत्ति में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है।
  • सभी कक्षाओं में नामांकित सभी बच्चों में से दो तिहाई से अधिक के पास घर पर स्मार्टफोन है। स्मार्टफोन वाले घरों में भी केवल एक चौथाई बच्चे (27%) ही आवश्यकता होने पर इसका उपयोग कर पाते थे।
  • सरकारी स्कूल के छात्रों के नामांकन में एक अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई, जबकि निजी स्कूलों में नामांकन दर का स्तर पिछले 10 वर्षों में सबसे कम रहा।
  • निजी स्कूलों के बजाए सरकारी स्कूलों में स्पष्ट वृद्धि/बदलाव देखा गया जो वर्ष 2018 में 64-3% वर्ष 2020 में 65.8% तथा वर्ष 2021 में 70.3% हो गया।
  • निजी स्कूलों में नामांकन में वर्ष 2020 में 28.8% से वर्ष 2021 में 24.4% की गिरावट दर्ज की गई है।

अखिल भारतीय उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट 2019-20

जून 2021 में शिक्षा मंत्रालय ने अिखल भारतीय उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट 2019-20 जारी की।

सर्वेक्षण की प्रमुख विशेषताएँ: भारत में उच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात में अत्यल्प वृद्धि हुई है।

  • वर्ष 2019-20 में महिलाओं के लिए सकल नामांकन अनुपात पुरुषों के 26.9 प्रतिशत की तुलना में 27.3 प्रतिशत था। परिणामस्वरूप उच्चतर शिक्षा में लैंगिक समानता सूचकांक शैक्षणिक वर्ष 2018-19 के 1.00 की तुलना में शैक्षणिक वर्ष 2019-20 में 1.01 था। यह पुरुषों की तुलना में पात्र आयु वर्ग की महिलाओं के लिए उच्चतर शिक्षा तक सापेक्षिक पहुंच में सुधार को दर्शाता है।
  • उच्चतर शिक्षा में छात्र शिक्षक अनुपात 26 है तथा विभिन्न राज्यों के मध्य इसमें व्यापक अंतर वि/मान है; जैसे- बिहार और झारखंड में छात्र शिक्षक अनुपात 50 से अधिक है।

अखिल भारतीय उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण

यह एक वार्षिक वेब-आधारित सर्वेक्षण है। इसे पूर्ववर्ती मानव संसाधन विकास मंत्रालय (वर्तमान में शिक्षा मंत्रालय) द्वारा वर्ष 2010-11 से आयोजित किया जा रहा है।

  • उद्देश्यः देश में उच्चतर शिक्षा की स्थिति को प्रदर्शित करना है।
  • यह सर्वेक्षण केन्द्रीय क्षेत्र की योजना उच्चतर शिक्षा सांख्यिकी और जन सूचना प्रणाली के तहत संचालित किया जा रहा है।
  • यह उच्चतर शिक्षा संस्थानों द्वारा स्वैच्छिक रूप से अपलोड किए गए डेटा पर आधारित है। साथ ही इसके तहत देश के सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों को शामिल किया गया है। इन्हें निम्नलिखित 3 व्यापक श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया हैः
    • विश्वविद्यालय
    • महाविद्यालय/संस्थान
    • स्टैंड-आलों या स्वचालित संस्थान (ये विश्वविद्यालयों से संबद्ध नहीं होते हैं। ये डिग्री प्रदान करने हेतु अधिकृत नहीं होते हैं, इसलिए डिप्लोमा स्तर के कार्यक्रम संचालित करते हैं)
  • उच्चतर शिक्षा में नामांकित विदेशी छात्रों की कुल संख्या 47,427 है। विदेशी छात्रों का सबसे अधिक भाग पड़ोसी देशों से आता है। इसमें कुल भागीदारी में नेपाल का 26.88 प्रतिशत योगदान है, तत्पश्चात अफगानिस्तान (9.8 प्रतिशत), बांग्लादेश (4.38 प्रतिशत), सूडान (4.02 प्रतिशत), भूटान (3.82 प्रतिशत) और नाइजीरिया (3.4 प्रतिशत का योगदान है।