बाल विवाह निषेधा (संशोधान) विधोयक, 2021

दिसंबर 2021 में लोक सभा में बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया गया। इस विधेयक में महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम वैध आयु को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष (पुरुषों के बराबर) करने का प्रावधान है।

  • यह प्रस्ताव केंद्र के एक कार्यबल द्वारा नीति आयोग को प्रस्तुत की गई सिफारिशों पर आधारित है। कार्यबल की अध्यक्षता जया जेटली ने की थी।
  • इस कार्यबल का गठन निम्नलिखित मुद्दों से संबंधित मामलों की जांच के लिए किया गया थाः
    • मातृत्व की आयु,
    • मातृ मृत्यु दर कम करने की अनिवार्यता,
    • पोषण स्तरों में सुधार तथा अन्य संबद्ध मुद्दे।

प्रारूप विधेयक की विशेषताएं: यह विधेयक बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 में संशोधन करेगा।

उद्देश्यः महिलाओं के विवाह योग्य आयु को पुरुषों के समान बनाना, मौजूदा कानूनों, जिनमें विवाह से जुड़े पक्षों को शासित करने वाले रीति-रिवाज, परिपाटी और प्रथाएं शामिल हैं, उन्हें रद्द करना आदि।

  • यह विधेयक विवाह संबंधी कुछ अन्य कानूनों में भी संशोधन करता है, ताकि उन कानूनों में महिलाओं के विवाह की न्यूनतम आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष किया जा सके। ये हैं-
  • भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872, हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 और विदेशी विवाह अधिनियम 1969।
  • बालक की परिभाषा (Definition of Child): ‘चाइल्ड या बालक’ का आशय एक ऐसे व्यक्ति (पुरुष या स्त्री) से है, जिसने अभी 21 वर्ष की आयु पूरी नहीं की है।
  • इस संशोधन की सिफारिश इसलिए की गई है क्योंकि यह संविधान की मूल भावना की पूर्ति करेगा। यह कार्य विवाह के संबंध में लैंगिक निष्पक्षता को सुनिश्चित करके और महिला सशक्तीकरण को सुगम बनाकर किया जाएगा।