ब्लैक कार्बन और हिमनदों का पिघलना

जून, 2021 को विश्व बैंक द्वारा ‘हिमालय के ग्लेशियर, जलवायु परिवर्तन, ब्लैक कार्बन और क्षेत्रीय लचीलापन’ (Glaciers of the Himalaysa, Climate Change, Black Carbon and Regional Resilience) नामक रिपोर्ट जारी की गई।

यह रिपोर्ट हिमालय, काराकोरम और हिंदुकुश (Himalaya, Karkaoram and Hindu-Kush: HKHK) पर्वतश्रृंखलाओं पर ब्लैक कार्बन के प्रभाव से संबंधित है। ज्ञातव्य है, कि इन पर्वतश्रृंखलाओं में हिमनदों के पिघलने के गति, विश्व के औसत हिमक्षेत्रों की तुलना में काफी अधिक है।

  • मानव जनित ब्लैक कार्बन की वजह से इन पर्वतश्रृंखलाओं में ग्लेशियर और बर्फ के पिघलने की गति और बढ़ गई है।
  • हिमालय, काराकोरम और हिंदुकुश पर्वतश्रृंखलाओं के हिमनदों/ ग्लेशियरों के पीछे हटने की दर, पश्चिमी क्षेत्रों में 3 मीटर प्रति वर्ष और पूर्वी क्षेत्रों में 1-0 मीटर प्रति वर्ष होने का अनुमान है।
  • ब्लैक कार्बन के निक्षेप, ग्लेशियर के पिघलने की गति को तेज करने के लिए दो प्रकार से कार्य करते हैं: सतह से होने वाले सौर-परावर्तन या पार्थिव किरण को कम करके और हवा के तापमान में वृद्धि करके।
  • रसोई-चूल्हे, डीजल इंजन और खुले में दहन से उत्पन्न होने वाले ब्लैक कार्बन उत्सर्जन को कम करने से हिमालय पर सर्वाधिक अधिक प्रभाव पड़ेगा और इससे विकिरण को भी काफी कम किया जा सकता है।