अश्विनी कुमार सक्सेना बनाम मध्य प्रदेश राज्य

सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी कि जे-जे-एक्ट और इसके अर्न्तगत बने नियमों के अधीन उम्र निर्धारण से संबंधित छानबीन का अन्य कानूनों के अंतर्गत की जाने वाली छानबीन (जैसे नौकरी में प्रवेश, सेवानिवृत्ति, प्रोन्नति, इत्यादि से संबंधित मामले) से कोई लेना-देना नहीं है।

बाल विकास से संबंधिात संवैधानिक प्रावधान

अनुच्छेद 15

  • राज्य बच्चों और महिलाओं के लिए विशेष कानूनी प्रावधान निर्धारित कर सकता है।
  • यह मूलभूत अधिकार है और सरकार को महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष कानून, नीतियां और कार्यक्रमों को बनाने और लागू करने के लिए सक्षम बनाता है।

अनुच्छेद 21 ए शिक्षा का अधिकार

  • राज्य छः से चौदह साल तक के सभी बच्चों को अनिवार्य रूप से निःशुल्क शिक्षा प्रदान करेगा।
  • यह मूलभूत अधिकार है जिसे वर्ष 2002 में संविधान में शामिल किया गया। इसका अनुपालन करते हुए केंद्र सरकार ने निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू किया।

अनुच्छेद 23

  • मानव तस्करी और जबरन मजदूरी पर प्रतिबंध
  • यह मूलभूत अधिकार है। 1950 में संविधान में वर्णित मूलभूत अधिकारों के हनन की स्थिति में दो अपराधों के लिए सजा का प्रावधान था-मानव तस्करी और अस्पृश्यता

अनुच्छेद 24

  • कारखानों इत्यादि तथा अन्य जोखिम के कार्यों में 14 साल से कम उम्र के बच्चों की नियुक्ति पर प्रतिबंध
  • यह मूलभूत अधिकार है। इसका उद्देश्य जोखिम के कार्यों में लगाए जाने से बच्चों की रक्षा करना है।

अनुच्छेद 39

  • राज्य अपनी नीतियों के माध्यम से यह सुनिश्चित करेगा कि महिला और पुरुष कामगारों तथा कम उम्र के बच्चों के स्वास्थ्य और शक्ति का दुरूपयोग न हो और देश के नागरिक अपनी आर्थिक विवशता के कारण वैसे काम करने को बाध्य न हों जो उनकी आयु और शक्ति के अनुरूप न हो।
  • बालकों को स्वतंत्र व गरिमामय वातावरण में स्वास्थ्य विकास के अवसर और सुविधाएं दी जाए और बालकों तथा अल्पवय व्यक्तियों की शोषण से तथा नैतिक और आर्थिक परित्याग से रक्षा की जाए।
  • यह मूलभूत अधिकार नहीं है। यह राज्य के नीति-निदेशक सिद्धांतों के अंतर्गत आता है। इसका उद्देश्य मजदूरी के माध्यम से बच्चों के शोषण की रोकथाम के लिए नीतियां बनाने हेतु राज्य को निर्देश देना है।
  • हर प्रकार के शोषण से बच्चों की रक्षा को ध्यान में रखते हुए यह प्रावधान अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • ऐसी स्थितियां आ सकती हैं जिनमें मैट्रिकुलेशन या समकक्ष प्रमाण पत्र में की गयी प्रविष्टि, या शुरुआती विद्यालय का जन्म-प्रमाण पत्र, और यहां तक कि नगर निगम, नगरपालिका या पंचायत द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र सही नहीं हो।
  • न्यायालय, किशोर न्याय बोर्ड या जे.जे. एक्ट के अंतर्गत काम कर रही समिति को आयु-निर्धारण हेतु डॉक्टरी रिपोर्ट के लिए कार्रवाई करने की आवश्यकता है।