महिला विकास से संबंधित अनुच्छेद

अनुच्छेद 14-महिलाओं और पुरुषों को राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में समान अधिकार और अवसर प्रदान करता है।

  • अनुच्छेद 15-में धर्म, रंग जाति और लिंग के आधार पर किसी नागरिक के प्रति भेदभाव करना निषेध किया गया है।
  • अनुच्छेद 15(3) में महिलाओं के पक्ष में सकारात्मक भेद करने के लिए समर्थ कार्य विशेष उपबंध किया गया है।
  • अनुच्छेद 21 (क)- 86वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम 2002, 6 से 14 वर्ष तक आयु के सभी बच्चों के लिए शिक्षा का मौलिक अधिकार प्रदान करता है।
  • अनुच्छेद 39(क) के अनुसार राज्य अपनी नीति का इस प्रकार संचालन करेगा कि सभी नागरिकों को समान रूप से जीविका के पर्याप्त साधन प्राप्त करने का अधिकार हो।
  • अनुच्छेद 39 - राज्य को पुरुष एवं स्त्री दोनों को समान कार्य के लिए समान वेतन सुनिश्चित करने का निदेश देता है।
  • अनुच्छेद 39 (ङ) पुरुष और स्त्री कर्मकारों के स्वास्थ्य और शक्ति का तथा बालकों की सुकुमार अवस्था का दुरुपयोग न होना सुनिश्चित करता है।
  • अनुच्छेद 42- राज्य को काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं को सुनिश्चित करने के लिए और प्रसूति सहायता के लिए आदेश देता है।
  • अनुच्छेद 51 में उल्लेख है कि यह सभी भारतीय नागरिकों का कर्तव्य है कि वे धार्मिक भाषाई एवं क्षेत्रीय तथा वर्गीय विविधताओं के बावजूद समस्त भारत के लोगों के बीच सौहार्द और समान भाईचारा की भावना को बढावा दें तथा महिलाओं की प्रतिष्ठा को कम करने वाली प्रथाओं को समाप्त करें।
  • अनुच्छेद 45: राज्य सभी बालकों को चौदह वर्ष की आयु पूरी करने तक निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करेगा।
  • अनुच्छेद 51 (ज्ञ): इसके अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह 6-14 वर्ष तक की उम्र के बीच अपने बच्चों को शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराएगा।
  • इसे 86वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा जोड़ा गया है।

बच्चों को अधिकार व सुरक्षा के लिए अंतरराज्ष्ट्रीय समझौते

भारतीय संविधान और कानून के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समझौतों के अंतर्गत भी बच्चों को अनेक अधिकार व सुरक्षा प्रदान किया गया है।

संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन 1989

यह बच्चों से संबंधित प्राथमिक अंतरराष्ट्रीय दस्तावेज है। इसे संयुक्त राष्ट्र की महासभा के द्वारा वर्ष 1989 में अंगीकृत किया गया। भारत ने इस दस्तावेज पर 1992 में अपनी स्वीकृति दी।

  • भारत ने इस दस्तावेज से जुड़े दो अतिरिक्त मसविदों की भी पुष्टि की है। पहला मसविदा बच्चों की बिक्री, बाल वेश्यावृत्ति और बच्चों से जुड़े अश्लील चित्रों के विषय में है और दूसरा उन बच्चों से संबंधित है, जो सशस्त्र संघर्षों में फंसे हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन का अनुच्छेद-1 बच्चों की परिभाषा इस प्रकार करता हैः- फ्हर वह मानव जो अठारह वर्ष की आयु से कम का है, बशर्ते की बच्चों पर लागू होने वाले कानून में इससे कम उम्र वालों को वयस्क माना जाता हो।य्