इसे 2018 में जनजातीय उत्पादों के मूल्यवर्द्धन के उद्देश्य से शुरू किया गया था, जिससे जनजातीय आय में सुधार हो सके। यह जनजातीय मामलों के मंत्रालय के साथ ट्राईफेड द्वारा संचालित किया जाता है।
इस योजना के तहत बहु-उद्देशीय वन धन विकास केंद्रों को आदिवासी बहुल जिलों में स्थापित किया जा रहा है। ये केंद्र स्थानीय रूप से उपलब्ध लघु वनोत्पादों (एमएफपी) के लिए खरीद सह-मूल्य संवर्द्धन के लिए सामान्य सुविधा केंद्रों के रूप में कार्य करेंगे।
प्रत्येक वन धन विकास केंद्र से 15 आदिवासी वन धन स्व-सहायता समूहों (SHG) सम्बद्ध होंगे, जिनमें से प्रत्येक में 20 लघु वनोत्पाद संग्राहक शामिल होंगे।
वन धन एसएचजी द्वारा उत्पादित प्रसंस्कृत/मूल्य वर्द्धित उत्पादों की बिक्री के लिए बाजार संपर्क की सुविधा प्रदान की जायेगी।
केंद्र निजी संस्थाओं/गैर सरकारी संगठनों के साथ विपणन और मूल्यवर्द्धन के लिए करार कर सकती हैं।
इसके अलावा केंद्र लघु वनोत्पादों/कच्चे माल और प्रसंस्कृत उत्पादों के लिए स्वयं सहायता समूहों को परिवहन तथा भंडारण (किराये के आधार पर) की सुविधा भी प्रदान करेंगे।
चुनौतियां
लघु वनोपज (एमएफपी) के लिए एमएसपी जैसी योजनाओं का संयोजन और समन्वय नहीं है।
संरक्षित क्षेत्र से ‘अतिक्रमणकारियों’के निष्कासन पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का जनजातीय आजीविका पर प्रभाव पड़ सकता है।
बिचौलियों के कारण आदिवासियों की आय कम हो गई।
सरकार को उपर्युक्त चुनौतियों का समाधान करने के लिए उपयुक्त नीतिगत बदलाव करना होगा।