इसे 2019 में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, जनजातीय मामलों के मंत्रालय और ट्राईफेड के संयुक्त सहयोग से प्रारंभ किया गया।
योजना का उद्देश्य तृतीयक मूल्य संवर्द्धन केंद्रों का निर्माण करना है, जो आदिवासी उत्पादों को मुख्यधारा में लाएगा। उदाहरण के लिए योजना के तहत ‘विरासत महुआ’ पेय को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा दिया जाएगा।
इस योजना के तहत लगभग 11 करोड़ रुपये की लागत से जगदलपुर (छत्तीसगढ़) और रायगढ़ (महाराष्ट्र) में दो तृतीयक मूल्य संवर्द्धन केंद्र बनाए गए हैं।