भारत सरकार ने नक्सलवाद से निपटने के लिए आत्म-समर्पण- सह-पुनर्वास नीति शुरू की है, जो बहुस्तरीय संघर्ष प्रबंधन और संकल्प रणनीति का हिस्सा है। लाल गलियारे में पुलिस कार्रवाई के साथ-साथ इस नीति को लागू किया जा रहा है। आत्म-समर्पण-सह-पुनर्वास नीति का उद्देश्य अशांत क्षेत्रों में नक्सलवादी समूहों के बीच आम सहमति बनाकर हिंसा का स्वीकार्य और शांतिपूर्ण समाधान विकसित करना है, जिससे उस क्षेत्र में शांति की स्थापना हो सके।
नक्सलवाद से निपटने की विभिन्न रणनीति
समाधान (SAMADHAN): एलडब्ल्यूई (लेफ्ट विंग एक्स्ट्रीमिज्म) के मुद्दे को हल करने के लिए, मध्यम अवधि और लंबी अवधि की नीतियों को विभिन्न स्तरों पर तैयार करने की आवश्यकता है, इसे 'SAMADHAN' शब्द में शामिल किया गया है, जिसका अर्थ है-
S-स्मार्ट लीडरशिप (Smart leadership): आत्मविश्वास से भरे नेता के पास एक ठोस दृष्टिकोण होना चाहिए, जो भविष्य की चुनौतियों की परिकल्पना करता है और नक्सल प्रभावित जिलों में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने के लिए अपनी टीम के सदस्यों में आत्म-विश्वास और उत्साह पैदा करता है। नक्सलवाद से निपटने के लिए एकीकृत समन्वय, खुफिया जानकारी साझा करने और रणनीतिक कमान की जरूरत है।
A-आक्रामक रणनीति (Aggressive strategy): सैनिकों की रक्षात्मक तैनाती में परिवर्तन उनके परिचालन आक्रामक को कम कर सकता है। यह सोच, रणनीति, बलों की तैनाती, संचालन और सड़क निर्माण आदि में आक्रामकता से सम्बंधित है। इस रणनीति की सफलता सीएपीएफ के पूर्ण सहयोग के साथ प्रभावित राज्यों के सहयोग पर निर्भर करेगी।
M-प्रेरणा और प्रशिक्षण (Motivation and training): नक्सलियों के खिलाफ सफलता एवं उपलब्ध संसाधनों एवं क्षमता का दोहन के लिए सरकारी एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय आवश्यक है। सुरक्षा बलों को मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। सुरक्षा बलों को सुरक्षा शिविरों में बिजली, पानी और कनेक्टिविटी की समुचित सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए।
A-एक्शनेबल इंटेलिजेंस (Actionable intelligence): स्थानीय लोगों के साथ एक अच्छा नेटवर्क स्थापित कर, खुफिया के आदान-प्रदान और उपयोग के लिए राज्य पुलिस एवं केंद्रीय बलों के बीच विशिष्ट प्रक्रियाएं स्थापित करें। शैडो इंटेलिजेंस ऑफिसर्स की प्रतिनियुक्ति करना, जिससे लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिज्म (एलडब्ल्यूई) को समाप्त करने से जुड़े प्रमुख लक्ष्यों का पता लगाया जा सके। नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (USOF) के माध्यम से आधारभूत संरचना का विकास किया जाना चाहिए।
D-डैशबोर्ड आधारित मुख्य प्रदर्शन संकेतक और प्रमुख परिणाम क्षेत्र (Dashboard based key performance indicators and key result areas): राज्य पुलिस और केंद्रीय बलों दोनों के लिए मुख्य प्रदर्शन संकेतक और प्रमुख परिणाम क्षेत्र को निर्धारित किया जाना चाहिए; ताकि प्रत्येक पुलिस अधिकारी की तैयारी, प्रदर्शन, व्यक्तिगत क्षमताओं तथा प्रगति का नियमित आंकलन किया जा सके।
H-हार्नेसिंग टेक्नोलॉजी (Harnessing technology): स्पेस, आईटी और संचार जैसी तकनीक का उपयोग फोर्स मल्टीप्लायर के रूप में करें। नक्सलवाद प्रभावित जिलों में यूएवी, उच्च रिजॉल्यूशन कैमरों, हैंडहेल्ड थर्मल इमेजिंग कैमरों आदि के उपयोग को बढ़ावा देना। वामपंथी उग्रवादियों को हथियारों को लूटने से रोकने के लिए ट्रैकरों और विस्फोटक सामग्री को विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करना।
A-प्रत्येक क्षेत्र के लिए कार्ययोजना (Action plan for each threat): विभिन्न राज्यों में नक्सलवाद से निपटने के लिए कई मोर्चों पर लड़ने की जरूरत है। सफलता प्राप्त करने के लिए इस तरह के प्रत्येक मोर्चे पर व्यवस्थित विशिष्ट कार्य योजना बनाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, अल्पकालिक, मध्यम अवधि एवं दीर्घकालिक रणनीति बनाएं, जिनके लक्ष्य और समय सीमा स्पष्ट रूप से परिभाषित हैं। कार्यान्वयन को मिशन मोड पर संचालित किया जाना चाहिए, जो निरंतर निगरानी और प्रमुख परिणाम क्षेत्रों (केआरए) के लिए मुख्य प्रदर्शन संकेतक (ज्ञच्प्) को परिभाषित करता है।
N-वित्तपोषण तक पहुंच रोकना (No access to financing): सुरक्षा बलों के लिए विभिन्न योजनाओं, जैसे एसआरई (सुरक्षा संबंधित व्यय) योजना, विशेष इन्फ्रॉस्ट्रक्चर योजना और सुरक्षात्मक पुलिस स्टेशन योजना के माध्यम से प्राप्त वित्तीय संसाधनों का प्रभावी आवंटन सुनिश्चित किया जाना तथा नक्सलवादियों के वित्तीय संसाधनों को प्राप्त करने वाले साधन को समाप्त करना।