ड्रोन नीति 2.0

ड्रोन नीति 2.0 को नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा 15 जनवरी, 2019 को वैश्विक नागरिक उड्डयन सम्मेलन, 2019 के दौरान जारी किया गया। नागर विमानन मंत्री जयंत सिन्हा के नेतृत्व में ड्रोन नीति 2.0 की सिफारिश करने के लिए एक कार्यबल का गठन किया गया था। इस कार्यबल को ड्रोन की स्वायत्त उड़ानों, ड्रोन के द्वारा वस्तु पहुँचाने, बियॉन्ड विजुअल लाइन ऑफ साईट’ (बीवीएलओएस) से सम्बंधित नियमों पर सिफारिश करनी थी।

सिफारिशें

ड्रोन नीति 2.0 एक कार्यात्मक ड्रोन तंत्र की स्थापना के लिए रोडमैप प्रदान करता है, ताकि भारत में ड्रोन का व्यावसायिक उपयोग हो सके। ड्रोन के उपयोग से सम्बंधित दिशा-निर्देश जारी करने के लिए एक ड्रोन निदेशालय की स्थापना करना।

  • यह ड्रोन के लिए परिचालन हवाई क्षेत्र के दायरे का विस्तार करता है, जिससे वे बीवीएलओएस और वर्तमान 400 फीट की सीमा से ऊपर उड़ान भर सकते हैं।
  • इस नीति के तहत अलग-अलग हवाई क्षेत्र स्थापित करने की सिफारिश किया गया है, जिसका नाम ड्रोन कॉरिडोर है।
  • हवाई क्षेत्र में दूर वाणिज्यिक ड्रोन संचालन होगा। यह न्ज्ड प्रणाली के माध्यम से संचालित एवं प्रबंधित किया जाएगा।
  • बेहतर पायलट प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया गया है; मगर कुछ शर्तों के अधीन मानव रिमोट पायलट की अनिवार्य आवश्यकता को हटाकर स्वायत्त ड्रोन (एल्गोरिदम के उपयोग से)चलाने की भी सिफारिश की गयी है।
  • नए हितधारकों को भी डिजिटल सेवा प्रदाता (डीएसपी) के रूप में प्रस्तुत किया गया है। ये डीएसपी अन्य सभी को डिजिटल स्काई प्लेटफार्म पर ड्रोन तंत्र में सेवाएं प्रदान करेंगे।
  • इस तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग ड्रोन बंदरगाह (कतवदम चवतजे) होंगे, जहाँ से ड्रोन टेक-ऑफ और लैंड कर पायेंगे।
  • एक स्वचालित वायु यातायात प्रबंधन प्रणाली स्थापित करने की परिकल्पना की गई है, जिसका ड्रोन पर नियंत्रण होगा।
  • नीति के मसौदा में यूएएस और आरपीएएस-आधारित वाणिज्यिक नागरिक विमानन सेवाओं में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई का प्रस्ताव किया गया है। ड्रोन नीति 1-0 के तहत, एफडीआई का कोई उल्लेख नहीं है।

सुझाव

  • अन्य देशों के विपरीत, भारत में एक बहुत ही कठोर ड्रोन नीति है, अतः सभी हितधारकों से परामर्श कर, ड्रोन नीति को सरल बनाने की आवश्यकता है; ताकि इसका प्रयोग कर अर्थव्यस्था का विकास एवं नागरिकों को कम समय एवं लागत पर बेहतर सेवा उपलब्ध हो सके।
  • रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFId) के साथ-साथ GSM और सिम कार्ड स्लॉट के उपयोग से ड्रोन के थर्ड पार्टी कंट्रोल का जोखिम बना रहता है। इस सुरक्षा चिंता को दूर करने की आवश्यकता है।
  • ड्रोन के निर्माण से संबंधित मानदंडों और दिशा-निर्देशों को आसान बनाना चाहिए।
  • एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट और डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म से संबंधित विशिष्ट कानूनों और विवरणों को संहिताबद्ध करें।
  • ड्रोन के दुरुपयोग के मामले में जुर्माना के प्रावधानों को निर्दिष्ट करना।