इसे 2016 में एक कुशल और पारदर्शी तरीके से अचल संपत्ति के विनियमन और संवर्द्धन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लाया गया, जो घर खरीदारों के हितों की रक्षा करता है। इसकी मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं -
यह अचल संपत्ति परियोजनाओं के खरीददारों और प्रमोटरों के बीच लेनदेन को नियंत्रित करता है। यह राज्य स्तर के नियामक प्राधिकरणों की स्थापना का प्रावधान करता है, जिन्हें रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (RERA) कहा जाता है।
रियल एस्टेट परियोजनाओं को RERA के साथ पंजीकृत होना चाहिए। प्रमोटर बिना पंजीकरण के इन परियोजनाओं को बिक्री के लिए बुक या प्रस्तावित नहीं कर सकते। इन परियोजनाओं में काम करने वाले रियल एस्टेट एजेंटों को भी RERAs के साथ पंजीकरण कराना होगा।
प्रमोटरों को RERA की वेबसाइट पर परियोजना का विवरण अपलोड करना होगा। किसी परियोजना के लिए खरीददारों से एकत्र की गई राशि का 70% एक अलग बैंक खाते में रखा जाना चाहिए, जिसे केवल उस परियोजना के निर्माण के लिए ही उपयोग किया जाना चाहिए। निकासी को आर्किटेक्ट, सीए और परियोजना इंजीनियरों द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए।
यह अधिनियम सरकार पर रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना करने की जिम्मेदारी डालता है। निर्णायक अधिकारियों, रियल एस्टेट प्राधिकरणों और अपीलीय न्यायाधिकरणों को 60 दिनों के भीतर शिकायतों का निपटान करना चाहिए।
नवीनतम अनुमानों (जनवरी, 2019) के अनुसार, 28 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों ने RERA के तहत नियमों को अधिसूचित किया गया है और 21 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरणों की स्थापना की गई है। 37,000 से अधिक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स और 28,000 रियल एस्टेट एजेंटों को देश भर में विभिन्न रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरणों के तहत पंजीकृत किया गया है।