देश की उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधारों को अवलोकन के लिए वर्ष 2008 में प्रो. यशपाल समिति का गठन किया गया था। समिति ने उच्च शिक्षा का नवीनीकरण और कायाकल्प पर रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसकी प्रमुख सिफारिशें निम्नलिखित हैं:
संवैधानिक संशोधन द्वारा गठित राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा और अनुसंधान आयोग (एनसीएचईआर) के तहत उच्च शिक्षा के लिए सभी व्यावसायिक निकायों जैसे यूजीसी, एआईसीटीई, एमसीआई और बीसीआई के शैक्षणिक कार्यों को निर्धारित किया जाना चाहिए।
संस्थानों और हितधारकों के बीच उत्पन्न विवादों पर रोक लगाने के लिए एक अधिकार सम्पन्न राष्ट्रीय शिक्षा न्यायाधिकरण की स्थापना करना, ताकि विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षा संस्थानों से संबंधित अदालतों में मुकदमेबाजी कम हो सके।
पाठड्ढक्रम सुधार एनसीएचईआर की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, जो एक सम्पूर्ण शृंखला के अंतर्गत गतिशीलता के सिद्धांतों पर आधारित हो।
व्यावसायिक शिक्षा क्षेत्र को विश्वविद्यालयों के दायरे में लाया जाना चाहिए।
एनसीएचईआर को राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के निर्माण के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रणाली में अनुसंधान को बढ़ावा देना चाहिए।
डीम्ड यूनिवर्सिटी के स्थिति के अनुसार कार्य तब तक रोक दिया जाना चाहिए, जब तक एनसीएचईआर उस पर विचार नहीं करता।
NCHER को पूरे भारत के सर्वश्रेष्ठ 1,500 कॉलेजों की पहचान करनी चाहिए और उन्हें विश्वविद्यालयों के रूप में अपग्रेड करना चाहिए।
जीआरई के पैटर्न पर विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए एक राष्ट्रीय परीक्षण योजना विकसित की जानी चाहिए, जो विश्वविद्यालयी शिक्षा के सभी इच्छुक लोगों के लिए खुली होगी, जिसे वर्ष में एक से अधिक बार आयोजित हो।
राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों को केंद्रीय वित्तीय सहायता की मात्र को प्रोत्साहन पद्धति पर पर्याप्त रूप से बढ़ाया जाना चाहिए।
सरकार द्वारा समिति के सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय उच्च शिक्षा और अनुसंधान आयोग (NCHER) विधेयक 2010 में लाया गया था, लेकिन यह समाप्त हो गया।