सितंबर, 2019 को भारत नए सदस्य के रूप में ‘ग्लोबल एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (एएमआरआरएंडडी) हब’ [Global Antimicrobial Resistance (AMR) Research and Development (R&D) Hub] में शामिल हो गया। इस हब या केंद्र की शुरुआत ‘विश्व स्वास्थ्य एसेंबली के 71वें सत्र’ के दौरान मई 2018 में की गई थी। वर्तमान में इस हब का परिचालन बर्लिन स्थित सचिवालय से हो रहा है। इसे ‘जर्मन फेडरल मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च’ तथा ‘फेडरल मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ’ से प्राप्त अनुदान के माध्यम से वित्तपोषित किया जा रहा है। इससे 16 देशों, यूरोपीय आयोग, 2 परोपकारी प्रतिष्ठानों और 4 अंतरराष्ट्रीय संगठनों (पर्यवेक्षकों के रूप में) में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के शोध एवं अनुसंधान में सहयोग और समन्वय में सुधार लाने के लिए वैश्विक भागीदारी का विस्तार हुआ है।
ग्लोबल एएमआरआरएंडडी हब की भागीदारी से भारत सभी भागीदार देशों की मौजूदा क्षमताओं और संसाधनों का लाभ उठा सकेगा। साथ ही ‘दवा प्रतिरोधी संक्रमणों’ (Drug Resistant Infections) से निपटने में सक्षम होगा। WHO के अनुसार, एएमआर संक्रमण की वजह से विश्व भर में प्रतिवर्ष 7,00,000 से अधिक लोग मारे जाते हैं। अगर उचित कार्रवाई नहीं की गई, मृत्यु की यह संख्या 10 मिलियन से अधिक का आंकड़ा पार कर सकती है। यह भारत सहित सभी विकासशील देशों में एएमआर चिंता का कारण है, जहां संक्रामक बीमारियों का बोझ अधिक है तथा स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च कम है। भारत, दुनिया में एंटीबायोटिक दवाओं का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। एक अध्ययन के अनुसार, देश में एंटीबायोटिक्स की खपत में वर्ष 2000 से 2015 तक 103 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में सबसे अधिक थी।