14 मई, 2019 को ‘फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलॉजी’ (Frontiers in Microbiology) नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार भारतीय वैज्ञानिकों ने हाल ही में दही आधारित ऐसा एंटीबायोटिक जैल विकसित किया है; जो घाव में संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया की वृद्धि रोकने के साथ-साथ तेजी से घाव भरने में मददगार हो सकता है। यह अध्ययन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया। घावों को भरने में इस हाइड्रोजैल की क्षमता का आकलन करने के लिए वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में विकसित कोशिकाओं का उपयोग किया है। हाइड्रोजैल के उपयोग से क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की प्रसार क्षमता बढ़ सकती है।
उल्लेखनीय है कि दवाओं के खिलाफ बैक्टीरिया की बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता के कारण कई बार घावों को भरने के लिए उपयोग होने वाली दवाएं अप्रभावी हो जाती हैं, जिससे मामूली चोट में भी संक्रमण बढ़ने का खतरा रहता है। दही के पानी में जैविक रूप से सक्रिय पेप्टाइड्स होते हैं, जिनका उपयोग इस शोध में उपचार के लिए किया गया है। शोधकर्ताओं ने 10 माइक्रोग्राम पेप्टाइड को ट्राइफ्लूरोएसिटिक एसिड और जिंक नाइट्रेट में मिलाकर यह हाइड्रोजैल बनाया है।