भारत दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी आबादी के साथ सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और इसकी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) क्रांति में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। नीति आयोग ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति तैयार की है। यह नीति इस बात पर केंद्रित है कि भारत सामाजिक और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियों का लाभ कैसे उठा सकता है?
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए राष्ट्रीय रणनीति का उद्देश्य
पहुंच, सामर्थ्य, कुशल विशेषज्ञता की कमी और असंगतता की चुनौतियों का समाधान करने के लिए मानव क्षमताओं को बढ़ाना और उन्हें सशक्त बनाना।
राष्ट्रीय एआई रणनीति
राष्ट्रीय एआई रणनीति एक रूपरेखा पर आधारित है, जो भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुकूल है। इसका उद्देश्य, एआई विकास का लाभ उठाने के लिए पूरी क्षमता हासिल करना है। यह एक ढांचा है, जो निम्नलिखित तीन अलग-अलग, अंतर-संबंधित घटकों का एकत्रीकरण हैः
1. अवसरः भारत के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का आर्थिक प्रभाव
2. ‘ग्रेटर गुड’ के लिए एआईः सामाजिक विकास और समावेशी विकास
3. दुनिया के 40 प्रतिशत लोगों के लिए ‘एआई गैरेज’
भारत के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र
नीति आयोग ने उन पाँच क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया है, जिसे हल करने में एआई के सबसे अधिक सहायक होने की कल्पना की गई हैः
1. स्वास्थ्य क्षेत्रः स्वास्थ्य सेवा में एआई का प्रयोग कर स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंचने से सम्बंधित उच्च अवरोधों के मुद्दों को हल किया जा सकता है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जो खराब संपर्क सुविधा और उच्च गुणवत्ता वाले पेशेवरों की सीमित आपूर्ति से पीडि़त हैं। संचालित नैदानिकी सेवाएँ, व्यक्तिगत उपचार, संभावित महामारी की शुरुआती पहचान जैसे अन्य मामलों में एआई का उपयोग किया जा सकता है। इस क्षेत्र में प्रमुख पहल निम्नलिखितहैं:
2. कृषि क्षेत्रः एआई के माध्यम से खाद्य क्रांति लाने और भोजन की बढ़ती मांग को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है (वैश्विक स्तर 2050 तक अतिरिक्त 2 बिलियन लोगों की खाद्य आवश्यकता को पूरा करने के लिए आज की तुलना में 50% अधिक खाद्यान्न का उत्पादन करने की आवश्यकता होगी)। इसकी सहायता से आवश्यकताओं की पूर्ति, सुनिश्चित सिंचाई की कमी एवं कीटनाशकों और उर्वरकों के अति प्रयोग / दुरुपयोग जैसी चुनौतियों का सामना करने की क्षमता विकसित की जा सकती है। इस क्षेत्र में उल्लेखनीय कदम निम्नलिखित हैंः
3. शिक्षा और कौशल क्षेत्रः एआई भारतीय शिक्षा क्षेत्र में संभावित रूप से गुणवत्ता और पहुंच के मुद्दों को हल कर सकता है। संभावित उपयोग के मामलों में व्यक्तिगत कार्यों के माध्यम से सीखने के अनुभव को बढ़ाना, प्रशासनिक कार्यों को स्वचालित और तेज करना तथा ड्रॉपआउट को कम करने या छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण की सिफारिश करने के लिए हस्तक्षेप की आवश्यकता का अनुमान लगाना शामिल है।
4. स्मार्ट मोबिलिटी एंड ट्रांसपोर्टेशनः इसके संभावित उपयोग में राइड शेयरिंग के लिए स्वायत्त गाडि़यों का समूह का प्रबंधन, अर्द्ध-स्वायत्त कार्य जैसे चालक सहायता और प्रीडिक्टिव इंजन मॉनिटरिंग और मेंटेनेंस आदि शामिल हैं। स्वायत्त ट्रक चालन और डिलीवरी तथा बेहतर यातायात प्रबंधन जैसे अन्य क्षेत्रों में एआई का प्रयोग किया जा सकता है।
5. स्मार्ट सिटीज और इन्फ्रास्ट्रक्चरः नए विकसित स्मार्ट शहरों और बुनियादी ढांचे में एआई का एकीकरण भी तेजी से शहरीकरण की मांग को पूरा करने और उन्हें जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद कर सकता है। संभावित उपयोग के मामलों में भीड़ प्रबंधन को कम करने और बेहतर भीड़ प्रबंधन के माध्यम से यातायात नियंत्रण शामिल हैं।
भारत में एआई तैनाती के लिए चुनौती
भारत को AI जैसी विघटनकारी तकनीक के क्षेत्र में पूर्ण क्षमता का दोहन कराने के लिए इसके समक्ष उपस्थित समस्याओं को दूर करना होगा।
भारत के लिए रोडमैप नीति दो-स्तरीय संरचना के माध्यम से कृत्रिम बुद्धिमत्ता में मूलभूत और अनुप्रयुक्त अनुसंधान को प्रोत्साहन देनाः
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निष्कर्ष
कृत्रिम बुद्धिमत्ता 21वीं सदी का गेम-चेंजर है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता समावेशी और धारणीय सामाजिक-आर्थिक विकास में सहयोगी हो सकता है। एआई के विकास से उपलब्ध क्षमता का दोहन करने के लिए अनुसंधान एवं विकास पर जोर देना होगा। एआई के विकास के साथ ही कोई भी उद्योग इसके प्रभाव से मुक्त नहीं होगा। व्यवधान आने से पहले ही इसका समाधान कर देना चाहिए, जो एआई व्यवधान के लिए भी सही है।