एआई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास पिछले कुछ वर्षों में विकसित हुआ है। हालाँकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता की अवधारणा सदियों से रही है, लेकिन 1950 के दशक तक यह पता नहीं चल पाया था कि इसकी सही वैज्ञानिक संभावना कितनी है।
एआई का आरंभ
वैज्ञानिकों, गणितज्ञों और दार्शनिकों की एक पीढ़ी को एआई की अवधारणा ज्ञात थी, लेकिन यह तब तक जाहिर नहीं हुआ, जब तक कि एक ब्रिटिश विद्वान एलन ट्यूरिंग ने सुझाव नहीं दिया कि यदि मनुष्य उपलब्ध सूचनाओं का उपयोग कर, समस्याओं को हल करता और निर्णय लेता है तो मशीनों इसी तरह काम को क्यों नहीं कर सकते?
कंप्यूटर क्रांति और बढ़ावा
1974 तक अधिक तेज, किफायती और जानकारी संग्रहित करने में सक्षम कंप्यूटर का विकास हो चुका था। एलेन न्यूवेल और हर्बर्ट साइमन की जनरल प्रॉब्लम सॉल्वर और जोसेफ वेइसबाम की एलिजा जैसे शुरुआती मशीनों ने (रिसर्च एंड डेवलपमेंट कॉर्पाेरेशन द्वारा वित्त पोषित) समस्या-समाधान और भाषा विवेचन का प्रदर्शन किया, लेकिन इसके बावजूद मशीनों के आदर्श रूप में, स्व-पहचान और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण को प्राप्त करने में अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना शेष था।
शक्तिशाली एल्गोरिदम का उदय
1980 के दशक में एआई अनुसंधान में पर्याप्त निवेश हुआ और ऐसे एल्गोरिदम उपकरणों का भी विकास हुआ, जिससे एआई के विकास को समर्थन मिला। जॉन हॉपफील्ड और डेविड रोमेलहार्ट ने ‘डीप लर्निंग’ तकनीक को लोकप्रिय बनाया, जो अनुभव के आधार पर सीखता था।
एआई स्प्रिंग की शुरुआत
आज अलग-अलग क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी नवाचार का अभूतपूर्व दौर हैं, जो हमें यह विश्वास दिलाते हैं कि ‘एआई स्प्रिंग’ स्थाई रूप से आया है। इसके जिम्मेदार प्रमुख घटनाक्रम हैं:
वर्तमान स्थिति
हाल के दिनों में एआई अनुसंधान तेजी से बढ़ रहा है। दुनिया भर में पिछले पांच वर्षों में 12.9% की सालाना दर से एआई पर शोध बढ़ा है।