नक्सलवाद की समस्या के समाधान के लिए सरकार ने बहु-आयामी रणनीति और राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार की है, जो सुरक्षा, विकास, स्थानीय समुदायों के अधिकारों आदि को सुनिश्चित करता है।
सुरक्षा संबंधित व्यय (एसआरई) योजनाः सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना के तहत, केंद्रीय सरकार 11 एलडब्ल्यूई प्रभावित राज्यों की राज्य सरकारों के विभिन्न खर्चों की प्रतिपूर्ति करता है; जिसमें 90 जिलों के सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण, आधुनिकीकरण और परिचालन संबंधी व्यय, एलडब्ल्यूई हिंसा में मारे गए नागरिकों / सुरक्षा बलों के परिवार को पूर्व भुगतान, आत्म-समर्पण किये चरमपंथी कैडरों को मुआवजा, सामुदायिक पुलिसिंग, ग्राम रक्षा समितियों और सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढांचों के निर्माण पर खर्च आदि शामिल है। इसका उद्देश्य एलडब्ल्यूई प्रभावित राज्यों की क्षमता को मजबूत करना है, जिससे प्रभावित राज्य एलडब्ल्यूई समस्या से लड़ सकें।
30 सबसे अधिक प्रभावित नक्सलवाद जिलों के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए): इस योजना को तीन साल की अवधि यानी 2017-18 से 2019-20 के लिए संचालित किया गया, जो ‘पुलिस बलों के आधुनिकीकरण’ की उप-योजना है। योजना का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक अवसंरचना और सेवाओं में महत्वपूर्ण अंतराल को कम करना है।
विशेष अवसंरचना योजनाः यह एक अम्ब्रेला योजना है, जो एलडब्ल्यूई प्रभावित राज्यों के राज्य खुफिया शाखाओं (SIB) और राज्यों के विशेष बलों को मजबूत करने के लिए धन उपलब्ध कराता है। इन राज्यों में पुलिस स्टेशनों का निर्माण किया जा रहा है। सुरक्षात्मक पुलिस स्टेशनों की योजना के अंतर्गत 10 एलडब्ल्यूई प्रभावित राज्यों में 400 पुलिस स्टेशनों के निर्माण को मंजूरी दी गयी है।
केंद्रीय एजेंसियों की सहायता के लिए एलडब्ल्यूई प्रबंधन योजनाः इस योजना को तीन वर्षों की अवधि के लिए पुलिस बलों के आधुनिकीकरण की उप योजना के रूप में अनुमोदित किया गया है। इस योजना के तहत केंद्रीय एजेंसियों (CAPFs / IAF आदि) को सहायता प्रदान की जाती है, जिससे बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और हेलिकॉप्टरों को भाड़े पर लेने का शुल्क शामिल है।
नागरिक कार्ययोजना (CAP): इस योजना को अम्ब्रेला योजना के रूप में जारी किया गया। एलडब्ल्यूई प्रभावित क्षेत्रों में सीएपी को 2010-11 से लागू किया जा रहा है। यह योजना सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों के बीच अंतराल को समाप्त करने पर जोर देता है, जिससे स्थानीय आबादी के सामने सुरक्षा बलों का मानवीय चेहरा लाया जाये।
संचार-माध्यम योजनाः एलडब्ल्यूई प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय आबादी को गलत सूचना के प्रचार-प्रसार के माध्यम से गुमराह किया जाता है और उनका शोषण किया जाता है। यह सीधे सुरक्षा कर्मियों की सुरक्षा को प्रभावित करता है और देश के लोकतांत्रिक स्वरूप को खतरे में डालता है। इसलिए इस योजना के कार्यान्वयन के माध्यम से सरकार जनजातीय युवा विनिमय कार्यक्रम, रेडियो विज्ञापन, वृत्तचित्र, पैम्फलेट आदि गतिविधियों के माध्यम से सूचना के अंतर को कम करने की कोशिश करती है।
एलडब्ल्यूई प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क आवश्यकता योजना-I (RRP-I): यह योजना सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 8 राज्यों के 34 एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों में लागू किया जा रहा है। इसके द्वारा आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में सड़क संपर्क में सुधार करने का लक्ष्य है। इस योजना में एलडब्ल्यूई प्रभावित क्षेत्रों के लिए 5,422 किलोमीटर सड़कों के निर्माण की परिकल्पना की गई है, जिनमें से 31 अगस्त, 2019 तक 4,833 किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य पूरी हो चुकी है।
एलडब्ल्यूई प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना (RRP-II): सरकार ने 9 एलडब्ल्यूई प्रभावित राज्यों के 44 जिलों में सड़क संपर्क में सुधार के लिए इस योजना को मंजूरी दी। यह योजना 11,725 करोड़ की अनुमानित लागत पर 5,412 किलोमीटर सड़क और 126 पुल के निर्माण की परिकल्पना करता है। ग्रामीण विकास मंत्रालय इस परियोजना के लिए नोडल मंत्रालय है और इसमें शामिल सड़कों की पहचान गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों एवं सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर की है। 01 नवंबर, 2019 तक 1,055 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जा चुका है।
एलडब्ल्यूई मोबाइल टावर योजनाः एलडब्ल्यूई क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने एलडब्ल्यूई प्रभावित राज्यों में मोबाइल टॉवरों की स्थापना को मंजूरी दी। परियोजना के प्रथम चरण में 2,335 मोबाइल टॉवर लगाए गए हैं, जिसमें बिहार के लिए 250 मोबाइल टावर शामिल हैं। परियोजना के द्वितीय चरण के तहत, सरकार ने 10 एलडब्ल्यूई प्रभावित राज्यों में 4,072 मोबाइल टावरों की स्थापना को मंजूरी दी, जिसमें बिहार में 412 मोबाइल टॉवर शामिल हैं।
आकांक्षी जिला कार्यक्रमः आकांक्षी जिला कार्यक्रम का उद्देश्य केंद्रीय और राज्य योजनाओं के अभिसरण तथा केंद्रीय, राज्य स्तर के अधिकारियों और जिला कलेक्टरों के सहयोग के माध्यम से एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों को पूरी तरह से बदल देना है। राज्य इस कार्यक्रम के मुख्य संचालक होंगे और इस कार्यक्रम के तहत प्रत्येक जिले के सबल पक्ष पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, तत्काल सुधार के लिए अपेक्षाकृत सरलता से बेहतर परिणाम देने वाले क्षेत्रों को चिह्नित किया जाएगा, प्रगति को मापा जाएगा और जिलों को रैंक दिया जाएगा।
शिक्षा और कौशल से सम्बंधित पहलः स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने सबसे अधिक एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों में 7 नए केन्द्रीय विद्यालयों (K%s) और 6 नए जवाहर नवोदय विद्यालयों (JN%) को मंजूरी दी है, जहाँ पहले कोई केन्द्रीय विद्यालय/जवाहर नवोदय विद्यालय नहीं था। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) के तहत एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों में 1,590 नए / उन्नत स्कूल और 349 बालिका छात्रवास स्वीकृत किए गए हैं।
एलडब्ल्यूई क्षेत्रों में वित्तीय समावेशनः वित्तीय समावेशन के लिए 30 सबसे अधिक एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों में 627 नई बैंक शाखाएं और 947 एटीएम 01 अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2019 के दौरान खोले गए हैं। इसके अलावा, 17 अप्रैल, 2017 से, 32 एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों में 1,759 शाखा डाकघर स्थापित किये गए हैं। इनमें बिहार के एलडब्ल्यूई प्रभावित क्षेत्रों में 108 नई बैंक शाखाएं, 48 नए एटीएम और 34 नए डाकघर शामिल हैं।