भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों और पड़ोसी देशों से लगे राज्यों, विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों में सड़क नेटवर्क को विकसित करने और बनाए रखने के उद्देश्य से इसका गठन 1960 में किया गया था।
यह रक्षा मंत्रालय के तहत कार्य करता है, जिसे पहले सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधीन रखा गया था।
सीमा सड़क विकास बोर्ड (BRDB) के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।
कार्य
शांति के दौरानः
सीमा क्षेत्रों में ऑपरेशनल रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करना और बनाए रखना।
सड़क, पुल, सुरंग, हेलीपैड और एयरफील्ड का निर्माण तथा रख-रखाव करना।
भूस्खलन, हिमस्खलन और हिमखंड (उदाहरण- लद्दाख की बाढ़) के बाद आपदा प्रबंधन एवं पुनर्निर्माण के प्रयासों से में सक्रिय भूमिका निभाना।
सीमावर्ती राज्यों के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देना।
युद्ध के दौरानः
नियंत्रण रेखा तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए सड़कों का विकास और रख-रखाव करना।
युद्ध के प्रयासों में योगदान देने वाली सरकार द्वारा निर्धारित अतिरित्तफ़ कार्यों को निष्पादित करना।
निष्कर्ष
वैश्वीकरण के युग में पूरी दुनिया एक बाजार बन गई है। इसने आर्थिक समृद्धि और कल्याण सुनिश्चित करने के साथ ही लोगों की गतिशीलता और परस्पर जुड़ाव में वृद्धि की है। मगर लोगों की गतिशीलता निरापद नहीं है, इसके वृद्धि के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय शांति के समक्ष नए खतरे उत्पन्न हो गए हैं, जैसे यूरोप में लोन वुल्फ अटैक। समय की जरूरत है कि भारत सरकार आर्थिक विकास और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की वृद्धि कर बाहरी तथा आंतरिक दोनों प्रकार के सुरक्षा संकटों का समाधान करे।