समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय

भारत के परिप्रेक्ष्य में

1982 में भारत UNCLOS का हस्ताक्षरकर्ता बन गया था।

पृष्ठभूमि

समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS) पर 10 दिसंबर, 1982 को हस्ताक्षर किए गए और 16 नवंबर, 1994 को इसे लागू किया गया।

प्रावधानः

तटीय राज्य अपने क्षेत्रीय समुद्र पर संप्रभुता का प्रयोग करते हैं, उनके पास 12 समुद्री मील (Nautical Mile) सीमा तक विस्तार करने का अधिकार है। अंतरराष्ट्रीय नौसंचालन के लिए उपयोग किए जाने वाले जलडमरू के माध्यम से सभी देशों के जहाजों और विमानों को पारगमन की अनुमति है। तटीय राज्यों को प्राकृतिक संसाधनों और कुछ आर्थिक गतिविधियों के संबंध में 200 समुद्री मील के अनन्य आर्थिक क्षेत्र का संप्रभु अधिकार हैं। अन्य सभी राज्यों को अनन्य आर्थिक क्षेत्र से नौसंचालन, हवाई यातायात तथा पाइपलाइन बिछाने की आजादी है।

तटीय राज्यों को महाद्वीपीय जल सीमा पर संप्रभु अधिकार है।

क्षेत्रीय जल से 12 समुद्री मील आगे तक राष्ट्रों को अधिकार है कि वे चार पहलुओं प्रदूषण, कर (लगान), सीमा शुल्क और अप्रवासन (Immigration) पर अपने कानून लागू कर सकें।

भू-आबद्ध राज्यों (Land- Locked State) को समुद्र तक पहुंच का अधिकार है और इन्हें पारगमन राज्यों के क्षेत्र के माध्यम से पारगमन की स्वतंत्रता का अधिकार है।