भारत सरकार द्वारा वर्ष 1974 में यह अधिनियम पारित किया गया था तथा इसके अंतर्गत जल प्रदूषण को इस प्रकार परिभाषित किया गया- जल के भौतिक, रासायनिक अथवा जैविक गुणों में किसी भी प्रकार के द्रव, गैस या ठोस पदार्थों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होने से हुए परिवर्तन या प्रदूषण जो अशुद्धियां पैदा करे या पानी को मानव स्वास्थ्य या सुरक्षा अथवा घरेलू, व्यापारिक, औद्योगिक, कृषि या अन्य यथोचित उपायों अथवा जंतुओं या पौधे या जलीय जीवों के जीवन तथा स्वास्थ्य को हानि पहुंचाते हैं। इस अधिनियम की मुख्य बातें निम्नवत हैं-