यह वर्ष 1981 में अस्तित्व में आया तथा 18 मई, 1981 से लागू हुआ। यह अधिनियम मुख्य रूप से वायु प्रदूषण को नियंत्रित रखने के लिए बनाया गया। इसका उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षण प्रदान करना है। इसकी मुख्य बातें निम्नवत हैं-
यह अधिनियम जहां वायु प्रदूषण के निरोध, नियंत्रण और प्रदूषण को हतोत्साहित करने की व्यवस्था करता है, वहीं बोर्डो को यह शक्ति प्रदान करता है कि वे लोकहित में औद्योगिक प्रतिष्ठानों की पानी-बिजली जैसी सेवाएं बन्द कर सकते हैं या उन्हें विनियमित करने का आदेश दे सकते हैं।
इस अधिनियम में यह प्रावधान है कि वायु प्रदूषण के स्रोत जैसे- वाहनों, उद्योगों व बिजलीघरों आदि को निर्धारित सीमा से अधिक सीसा, कार्बन, कण पदार्थों, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड व अन्य विषैले पदार्थों को छोड़ने की अनुमति नहीं होगी। इसकी जांच प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड करेंगे। इन बोर्डो को अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने की शक्तियों और प्रदूषण की रोकथाम से संबंधित कामों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इस अधिनियम के तहत किसी भी उद्योग की स्थापना तभी की जा सकती है, जब इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से इजाजत प्राप्त कर ली जाए।