ऐच्छिक बेरोजगारी से अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें मजदूरी की वर्तमान दर पर एक श्रमिक रोजगार उपलब्ध होने पर भी काम करने के लिए तैयार नहीं होता। अनैच्छिक बेरोजगारी वह स्थिति होती है जिसमें लोग काम करने के योग्य होते हैं और प्रचलित मजदूरी पर काम करने के लिए तैयार होते हैं, लेकिन उन्हें काम नहीं मिलता। इस तरह की बेरोजगारी समग्र मांग में कमी के कारण उत्पन्न होती है और समग्र मांग में अभिवृद्धि के साथ समाप्त हो जाती है। प्रो. जे.एम. कीन्स ‘अनैच्छिक बेरोजगारी’ के समर्थक रहे हैं। रोजगार और बेरोजगारी के अनुमान क्रमशः सामान्य मुख्य स्थिति, चालू साप्ताहिक स्थिति और चालू दैनिक स्थिति के आधार पर दिए जाते हैं। बेरोजगारी के अनुमानों में चालू दैनिक स्थिति, बेरोजगारी का सर्वोत्तम माप पेश करती है। जहां सामान्य स्थिति बेरोजगारी दर तथा साप्ताहिक स्थिति बेरोजगारी दर व्यक्ति दरें हैं वहीं चालू दैनिक स्थिति समय दर प्रदर्शित करती है।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की नवीनतम रिपोर्ट ‘वर्ल्ड इम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुकः ट्रेंड्स 2018’ के अनुसार वर्ष 2018 में भारत की बेरोजगारी दर 3.5% (संशोधित अनुमान) अनुमानित है जबकि 2018 में बेरोजगार लोगों की संख्या में 18.6 मिलियन की बढ़ोत्तरी का अनुमान है। वैश्विक स्तर पर यह दर 5.5% अनुमानित है।