चक्रीय बेरोजगारी वह बेरोजगारी है जो अर्थव्यवस्था में चक्रीय उतार.चढ़ाव के कारण होती है। यह व्यापार चक्र के मंदी या अधोमुखी चरण के दौरान उस समय होती है जबकि आय तथा उत्पादन में काफी अधिक गिरावट व्यापक बेरोजगारी का कारण बनती है। घर्षणात्मक बेरोजगारी वह बेरोजगारी है जो पूर्ण रोजगार की स्थिति में भी बनी रहती है।
उदाहरण के लिए ऐसा व्यक्ति जो एक रोजगार को छोड़कर अन्य रोजगार में प्रवेश करता है, तो दोनों रोजगारों की मध्यावधि में वह अस्थाई रूप से बेरोजगार सा हो जाता है। इस तरह की अस्थाई स्वभाव की बेरोजगारी को घर्षण जनित बेरोजगारी कहा जाता है। संरचनात्मक या तकनीकी मूलक बेरोजगारी वह बेरोजगारी है जो किसी औद्योगिक संगठन की आर्थिक संरचना या उत्पादन की तकनीकों में परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है। भारत में ‘संरचनात्मक बेरोजगारी’ पाई जाती है।