विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) 28 दिसंबर, 1953 को अस्तित्व में आया। संसद के एक अधिनियम द्वारा 1956 में इसे एक वैधानिक निकाय बना दिया गया। यह विश्वविद्यालय शिक्षा हेतु समन्वय, मानदंडों के निर्धारण और अनुरक्षण करने वाली राष्ट्रीय संस्था हैं। यह केंद्र व राज्य सरकारों और उच्च शिक्षा प्रदान करने वाली संस्थाओं के बीच समन्वयक संस्था के रूप में कार्य करता है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग शिक्षा के संवर्द्धन और समन्व्यन हेतु तथा शिक्षण, परीक्षा एवं शोधन के क्षेत्र में संबंधित विश्वविद्यालयों के साथ विचार विमर्श करके जो कार्यवाही उचित समझे, कर सकता है। शिक्षण और अनुसंधान के साथ प्रसार को आयोग द्वारा शिक्षा के तीसरे आयाम के रूप में जोड़ा गया था। अपने कार्य को चलाने के उद्देश्य से आयोग अपने कोष से, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों को रखरखाव एवं विकास हेतु अनुदान आवंटन व वितरण करने, वि-विद्यालय शिक्षा उन्नयन हेतु आवश्यक उपायों के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों व उच्च शिक्षा के संस्थानों को परामर्श देने और अधिनियम के अनुरूप नियम एवं प्रक्रिया निर्धारण करने का कार्य कर सकता है। आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और भारत सरकार द्वारा नियुक्त 10 अन्य सदस्य होते हैं। सचिव इसके कार्यकारी अध्यक्ष होते हैं। आयोग के क्षेत्रीय कार्यालय हैदराबाद, पुणे, भोपाल, कोलकाता, गुवाहाटी तथा बंगलूरू में हैं।