भारत सरकार ने इस क्षेत्र में दो बड़े कदम उठाये हैंः
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम - 2000
साइबर अपराध साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है जिसमें कंप्यूटर और नेटवर्क शामिल है। किसी भी कंप्यूटर का अपराधिक स्थान पर मिलना या कंप्यूटर से कोई अपराध करना कंप्यूटर अपराध कहलाता है। कंप्यूटर अपराध में नेटवर्क शामिल नहीं होता है। किसी की निजी जानकारी को प्राप्त करना और उसका गलत इस्तेमाल करना, किसी की भी निजी जानकारी कंप्यूटर से निकाल लेना या चोरी कर लेना भी साइबर अपराध है। कंप्यूटर अपराध भी कई प्रकार से किए जाते हैं जैसे कि जानकारी चोरी करना, जानकारी मिटाना, जानकारी में फेर बदल करना, किसी की जानकारी को किसी और को देना या कंप्यूटर के भागों को चोरी करना या नष्ट करना आदि। साइबर अपराध भी कई प्रकार के हैं जैसे कि स्पैम ईमेल, हैकिंग, फिशिंग, वायरस, किसी पर हर वक्त नजर रखना आदि। व्यक्तिगत अपराधः इस प्रकार अपराध किसी व्यक्ति या उसकी निजी संपत्ति आदि को लेकर हो सकते हैं। इनमें इलेक्ट्रॉनिक मेल, साइबर स्टॉकिंग, अश्लील/आपत्तिजनक सामग्री के इंटरनेट द्वारा प्रसार से हैकिंग/ क्रैकिंग या किसी अन्य अपराध में कंप्यूटर का प्रयोग करना, वायरस फैलाना, इंटरनेट साइट्स पर अतिक्रमण तथा बिना स्वीकृति के किसी व्यक्ति के कंप्यूटर पर गलत या आपराधिक तरीके से कब्जा करना आदि सम्मिलित हैं। किसी संस्था के विरुद्धः इस प्रकार के अपराध सामान्यतः किसी सरकारी, निजी संस्था, कंपनी या किसी समूह के खिलाफ हो सकते हैं ये अपराध भी हैिकंग, क्रैकिंग द्वारा अथवा गैरकानूनी ढ़ंग से सूचनाओं को प्राप्त करने और उनका इस्तेमाल किसी संस्था या सरकार के विरुद्ध करके किए जाते हैं। पाइरेटेड सॉफ्रटवेयर का वितरण एवं अन्य प्रकार के गैरकानूनी कंप्यूटर संबंधी कार्यों से संबंधित अपराध इस श्रेणी में आते हैं। समाज के विरुद्धः ये अपराध किसी व्यक्ति या संस्था के विरुद्ध ही सीमित न रह कर संपूर्ण समाज को प्रभावित करते हैं इस प्रकार के अपराधों में पोर्नोग्राफी तथा अश्लील सामग्री या ट्रैफिकिंग जैसे अपराध शामिल होते हैं। |
राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति - 2013 के उद्देश्य