हैकिंगः यह सबसे ज्यादा प्रचलित साइबर अपराध है सूचना प्रौद्योगिकी ऐक्ट 2000 में इस प्रकार के अपराधों को बताते हुए कहा गया है, ‘जो भी जानबूझ कर या बिना जाने किसी गलत कार्य द्वारा पब्लिक या व्यक्ति को हानि पहुंचाता है अथवा पंहुचाने का प्रयास करता है उसे हैकिंग कहते हैं। इस प्रकार के अपराधों में कंप्यूटर पर ही सूचनाओं को गैरकानूनी ढंग से अधिगृहीत कर नुकसान पहुंचाने का कार्य किया जाता है।‘
सुरक्षा से संबंधित अपराधः इंटरनेट तथा नेटवर्क की तेज रफ्रतार से वृद्धि के साथ नेटवर्क सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। निजी गुप्त सूचनाओं को आमजन तक प्रचारित प्रसारित करना ही सुरक्षा व्यवस्था से संबंधित अपराधों की श्रेणी में आता है। यह कार्य नेटवर्क पैकेट स्निफर द्वारा किया जा सकता है जो संपूर्ण सूचनाओं को छोटे छोटे टुकड़ों में बांट कर उन का पुनः वितरण और प्रचार प्रसार करते हैं। ये नेटवर्क पैकेट स्निफर एक सॉफ्टवेयर तकनीक को विकसित करते हैं तथा उपयोगकर्ता को उपयोगी सूचनाएं ग्रहण करने हेतु खाता संख्या एवं पासवर्ड उपलब्ध करवाते हैं। सुरक्षा व्यवस्था को इससे गंभीर खतरा उत्पन्न होता है।
इंटरनेट पर धोखधड़ीः यह भी विशेष प्रकार का अपराध है इंटरनेट कंपनियां इंटरनेट पर अपने उत्पादों की मार्केटिंग करती हैं खराब उत्पादों की मार्केटिंग के लिए वे अपने ग्राहकों को गलत सूचनाएं दे कर उन्हें फंसाती हैं। इस प्रकार की कई भ्रामक और धोखाधड़ी वाली स्कीम्स को ऑनलाइन इंटरनेट द्वारा समाचारपत्र आदि द्वारा प्रस्तुत कर गबन करने के अनेक उदाहरण मिलते हैं।
क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ीः यद्यपि इंटरनेट द्वारा मुद्रा का स्थानांतरण और लेनदेन करना बहुत आसान हो गया है, वहीं इस तकनीक ने कई प्रकार के साइबर अपराधों को जन्म भी दिया इन में मुख्य है- क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी। इस प्रकार के अपराध में किसी कार्डधारक के डिजिटल हस्ताक्षर बनाकर उसके कोड नंबर की चोरी की जाती है भारतीय सूचना प्रौद्यागिकी एक्ट 2000 की धारा 73 के अनुसार इस प्रकार के अपराधों के लिए 2 वर्ष तक का कारावास या 2 लाख जुर्माना अथवा दोनों दंड निर्धारित है।
क्रिप्टोग्राफी, प्राइवेसी और राष्ट्रीय सुरक्षाः इंटरनेट द्वारा लोगों को अपना दृष्टिकोण प्रकट करने और किसी के प्रति टिप्पणी करने का विश्वव्यापी मंच प्राप्त हो गया है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि किसी को अमर्यादित किया जाए या उनकी प्राइवेसी में दखलंदाजी की जाए। अगर कोई एेसा करता है तो वह साइबर अपराधी कहलाएगा।
क्रिप्टोग्राफी वास्तव में शब्दों का प्रयोग कर संदेश को इस प्रकार प्रसारित करना है कि मात्र प्रेषक एवं संदेश प्राप्तकर्ता ही उसे समझ सके इस प्रकार से केवल व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता बनी रहती है बल्कि दूसरों को भी इन कोड शब्दों की जानकारी प्राप्त नहीं होती आधुनिक युग में इस प्रकार के कार्यों में भी कोडवर्ड की चोरी करने एवं उन संदेशों को गैरकानूनी ढ़ग से अनाधिकृत व्यक्तियों व कंपनियों तक पहुंचने से व्यावसायिक संगठनों को ही नहीं बल्कि देश की सुरक्षा एजेंसियों के गुप्त कार्यों का पता दुश्मनों को चला जाता है जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।