वर्तमान में एक व्यक्ति को दूसरी जगह पर बैठे व्यक्ति के साथ संवाद करने में समय नहीं लगता, क्योंकि आज ऐसी तकनीक आ गयी है जिसने दो देशों, दो व्यक्तियों के मध्य संचार को अत्यधिक सरल बना दिया है। इसी को संचार नेटवर्क के नाम से जानते हैं। किसी भी देश के सामाजिक, आर्थिक और बुनियादी ढांचे की विकास प्रक्रिया में सूचना एवं संचार तकनीक (ICT) का अत्यधिक प्रयोग हो रहा है। सुपर कंप्यूटर्स, वायरलेस नेटवर्क तकनीकों एवं इंटरनेट के प्रयोगों ने इस क्षेत्र के व्यापक प्रयोग की संभावनाओं के दरवाजे खोले हैं।
1990 के दशक के बाद सुशासन की अवधारण ने भी प्रशासन एवं शासन में सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग को अवश्यंभावी बनाया है। इस संचार पद्धति के प्रयोग से जनता एवं ग्राहकों को बेहतर सेवाएं सुनिश्चित समय पर मिलने लगी तथा शासन में पारदर्शिता भी आयी।
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सभी विभाग एवं स्थानों को इंटरनेट एवं सूचना प्रौद्योगिकी से जोड़ा जा चुका है। पिछले कुछ वर्षों से संचार नेटवर्क उपकरणों में हुई वृद्धि ने इंटरनेट आधारित साइबर स्पेस में आश्चर्यजनक वृद्धि की है। भारत में इंटरनेट प्रयोगकर्त्ताओं की संख्या लगातार बढ़ी है। इंटरनेट की व्यापकता ने ही आज ई-शासन, ई-व्यापार आदि को संभव बनाया है। परंतु लोगों की जागरूकता के अभाव एवं इसके तकनीकी पहलुओं के कारण साइबर अपराध की घटनाएं भी बढ़ी हैं।
चुनौतियां
संचार नेटवर्क की सर्वत्र व्यापकता तो हुई किंतु इसके प्रयोग में विद्यमान जटिलता से सेवा प्रदाता की अनिभिज्ञता एवं उपभोक्ता में इसके ज्ञान के अभाव ने कई प्रकार की चुनौतियां प्रस्तुत की हैं। कई मोबाइल सेवाओं/ इंटरनेट सेवाओं में उपयोगकर्ताओं की निजी जानकारी साझी करनी पड़ती है, जिसका सर्वर देश के बाहर स्थित होने से यहां की निजी जानकारियां दूसरे देश में स्थित कंपनी के पास होती हैं, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो सकता है।
देश में सामरिक केंद्रों, औद्योगिक केंद्रों का संचार प्रौद्योगिकी/इंटरनेट के माध्यम से जुड़े होने से कई बार शत्रु देशों के द्वारा साइबर हमले का खतरा बना रहता है, जिससे हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक चुनौती बनी रहती है। आतंकवादी संगठन या हैकर्स संचार संजाल का प्रयोग कर किसी भी देश के लिए उसकी आंतरिक एवं वा“य सुरक्षा को प्रभावित करते हैं।