जापान के सेंडाइ शहर में मार्च 2015 को संयुक्त राष्ट्र के 187 सदस्यों द्वारा आयोजित ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण विश्व सम्मेलन’ में वैश्विक स्तर पर आपदा जोखिम को न्यून करने के लिए एक योजना (framework) बनाया गया था। इस योजना को ‘सेंडाई फ्रेमवर्क’ कहा जाता है, जो की आपदा पर कार्रवाई के लिए 10 वर्ष पुराने ‘ह्योगो फ्रेमवर्क’ का जगह लेगा। इस बैठक में बताया गया की वैश्विक स्तर पर 2008 से 2012 के बीच 1-3 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिक क्षति हुई और 14 करोड़ लोग आपदा से प्रभावित हुए। विश्व के 15 विकासशील देशों में ही कुल प्राकृतिक आपदा का 80 प्रतिशत असर होता है, फिलीपींस, चीन, जापान और बांग्लादेश प्राकृतिक आपदा से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले 4 प्रमुख देश हैं। भारत में बीते 10 वर्षों में प्राकृतिक बदलाव की वजह से आपदाओं का असर बढ़ा है, इसकी एक वजह ग्रीन हाउस उत्सर्जन में वृद्धि होना भी है।
सेंडाइ फ्रेमवर्क में घोषित प्राथमिकताएं
सेंडाइ फ्रेमवर्क का लक्ष्य
वैश्विक स्तर पर आपदा से प्रभावित प्रति 10 लाख लोगों की संख्या 2030 तक कम करना और आपदा से होने वाले वैश्विक घरेलू उत्पादन की कमी को दूर करना। 2005 से 2015 तक आए आपदा का विश्लेषण करना और 2020 से 2030 तक आपदा बचाव कार्य की सभी प्रक्रिया का लेखा रखना ताकि भविष्य में बेहतर आपदा प्रबंधन में मदद मिले।स्वास्थ्य व शिक्षा जैसी जरूरी सेवाओं को प्राकृतिक आपदा से सुरक्षित रखने के लिए 2030 तक उन्हें आपदा प्रतिरोधी बनाया जाएगा।
वैश्विक स्तर पर 2020 तक राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति को स्थानीय स्तर पर समन्वयित करने की योजना लागू करना। इसके लिए विकासशील देशों को जापान जैसे विकसित देश आपदा की अग्रिम चेतावनी देने वाले आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराएंगे और आपदा प्रबंधन से संबन्धित सभी आंकड़े साझा किए जाएंगे।
‘सेंडाइ फ्रेमवर्क’ का लक्ष्य 2020 से 2030 तक आपदा के कारण हो रहे वैश्विक मृत्यु दर को कम करना है और साथ ही आपदा के प्रभावों से लोगों को बचाना है। सेंडाइ फ्रेमवर्क की शर्ते स्वैच्छिक हैं और इसे सहस्राब्दि विकास लक्ष्य तथा पेरिस जलवायु समझौते के साथ सम्मिलित किया जा रहा है।