जाति पंचायतें
इनका गांव में अधिक और शहरों में कम प्रभाव है, इनमें जातिवाद बढ़ा है। यह पंचायतें महिलाओं के हक में नहीं हैं, इन पंचायतों में एकपक्षीय निर्णय ले लिया जाता है।
हर जगह पुरुष प्रधान जाति पंचायतें ज्यादा हैं, जहां महिलाओं की संस्थाएं सक्रिय नहीं है वहां घरेलू हिंसा को लेकर हुए फैसले पूरी तरह एक पक्षीय रहे हैं।