भारत के सुंदरबन क्षेत्र में मैंग्रोव वन कवर पिछले कुछ दशकों से चिंताजनक रूप से घट रहे हैं। भारतीय सुंदरबन में 1986 से 2012 के बीच मैंग्रोव वन कवर में हुए परिवर्तनों के अध्ययन से संबंधित ये निष्कर्ष हाल ही में प्रकाशित किये गए। यह अध्ययन जादवपुर यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओशनोग्राफिक स्टडीज (School of Oceanographic Studies) द्वारा रिमोट सेंसिंग व जीआईएस के प्रयोग द्वारा किया गया।
मैंग्रोव वनों का 5.5% भाग नष्ट
अध्ययन के अनुसार 1986 से 2012 के बीच सुंदरबन क्षेत्र में 124418 वर्ग किमी से अधिक मैंग्रोव वन क्षेत्र नष्ट हुए हैं, जोकि कुल मैंग्रोव वनों का 5.5% भाग है। वर्ष 1986 में भारतीय सुंदरबन का कुल वन आच्छादन 2,246.839 वर्ग किलोमीटर था, जो धीरे-धीरे घटकर 1996 में 2,201.41 वर्ग किलोमीटर हो गया। उसके बाद वर्ष 2001 में यह 2168.914 वर्ग किमी तथा वर्ष 2012 में यह 2122.421 वर्ग किमी रह गया। प्रकाशित अध्ययन के लेखक सुगाता हजरा और काबेरी समता के अनुसार, ‘जलवायु परिवर्तन और समुद्री जल-स्तर की वृद्धि के फलस्वरूप इस प्रक्रिया की निरंतरता से भविष्य में इस मैंग्रोव वन की कार्बन अधिग्रहण क्षमता तथा अन्य पारिस्थितिक तंत्र के लिए एक गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।’
अध्ययन के अनुसार, 1985 से लेकर 2010 तक सागर द्वीप स्टेशन पर औसत समुद्र के स्तर में 2.6-4 मिलीमीटर की वृद्धि हुई है, जो तटीय कटाव, तटीय बाढ़ तथा ज्वारीय निवेशिकाओं में वृद्धि हेतु उत्तरदायी कारक माना जा सकता है। यह अध्ययन 1986 से 2012 तक भारतीय सुंदरबन के कम से कम 18 मैंग्रोव द्वीपों के कटाव की एक समयशृंखला पर प्रकाश डालता है। उदाहरण के लिए, गोसाबा में मैंग्रोव कवर में 20% की कमी हुई जो 1986 में 517.47 वर्ग किमी से घटकर 2012 में 506.691 वर्ग किमी रह गया।
दुलीभसानी पश्चिम (Dulibhasani West) में मैंग्रोव कवर में 9.7% की कमी हुई जो 1986 में 180.03 वर्ग किमी से घटकर 2012 में 163.475 वर्ग किमी रह गया। इसी प्रकार डलहौजी (Dalhousie) द्वीप में मैंग्रोव कवर में 16% की कमी हुई, जो 1986 में 76.606 वर्ग किमी से नष्ट होकर 2012 में 64.241 वर्ग किमी रह गया।
भांगदुनी (Bhangaduni) द्वीप में मैंग्रोव कवर में 37% की भारी कमी हुई तथा यह 1986 में 40.4 वर्ग किमी से घटकर 2012 में 249 वर्ग किमी हो गया। जंबूद्वीप जो सबसे छोटे निर्जन द्वीपों में से एक है में भी मैंग्रोव कवर में लगभग 10% की क्षति हुई। आम तौर पर नदियों द्वारा लाई गई तलछट, जो यहां अवस्थित द्वीपों के क्षेत्रफल में वृद्धि करती थी, अब यह तलछट नदियों पर बनाए जा रहे बांधों द्वारा रोक ली जाती है। फलस्वरूप द्वीपों के क्षेत्रफल में कमी हो रही है। जिसके परिणामस्वरुप इन वनों के क्षेत्रफल में उल्लेखनीय कमी हो रही है।
प्रोफेसर हजरा के अनुसार, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों से लाए गए अवसादों व जल प्रवाह की भारी मात्र के कारण सुंदरबन डेल्टा के पूर्वी तरफ (बांग्लादेश) की भूमि में वृद्धि हो रही है। वृक्षारोपण के रूप में वन भूमि के महत्वपूर्ण रूप से बढ़ने के बावजूद वन कवर में कमी आ रही है। मैंग्रोव एक छोटा, झाड़ीनुमा, सदाबहार पेड़ होता है जो तटीय क्षेत्रें को चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करता है। मैंग्रोव वन, उष्ण एवं उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रें में सामान्यतः 25 डिग्री उत्तरी और 25 डिग्री दक्षिणी अक्षांशों के मध्य पाया जाता है।