राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति मसौदा, 2013: यह नीति अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया है। इसकी विशेषता निम्न प्रकार से है।
जिले में भूमि कोषः प्रत्येक जिले में एक भूमि कोष बनेगा। उस पर पहला हक गांव के भूमिहीन का होगा।
सरकारी पट्टे में महिला का नामः भूमिहीनों को दिए जाने वाले भूमि के पट्टे में अब पति के साथ पत्नी का नाम भी अनिवार्य रूप से रखा जाएगा। एकल महिला होने पर पट्टा उसके नाम पर होगा।
भूमि विवाद निपटाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनेगी।
मुफ्त भूमिः गांव में समस्त आवासहीनों को 10 डिस्मिल भूमि (एक एकड़ का दसवां हिस्सा) मकान बनाने के लिए और समस्त भूमिहीनों को खेती के लिए ढाई से पांच एकड़ भूमि दिलाने की पहल (जिसका खर्च केंद्र और राज्य मिलकर उठाएंगे)
राज्यों में भूमि सुधार आयोगः भूमि के विषय को समझने के लिए राज्यों में भूमि सुधार आयोग का गठन होगा।
भूदान भूमि का सर्वेः बिनोवा भावे को जो भूमि दान में मिली थी।
उसकी स्थिति का पता करने के लिए व्यापक सर्वे होगा।
धार्मिक, शैक्षिक, धर्मार्थ, अनुसंधान और औद्योगिक संगठनों के लिए 15 एकड़ से अधिक भूमि रखने के लिए छूट।
निर्धारित समय के भीतर अधिशेष भूमि वितरित करने के लिए एक ‘एकल खिड़की’ की योजना।
भूमि के बेनामी या किसी और के नाम होने पर कार्रवाई।
भूमि माल के डेटाबेस को सार्वजनिक जांच के लिए उपलब्ध करवायी जाएगी।