पिछले कुछ वर्षों से भारत एक नए तरह के भ्रष्टाचार का सामना कर रहा है। बड़े घपले-घोटालों के रूप में सामने आया यह भ्रष्टाचार कॉरपोरेट जगत से जुड़ा हुआ है। यह विडंबना है कि कॉरपोरेट जगत का भ्रष्टाचार लोकपाल के दायरे से बाहर है। देश ने यह अच्छी तरह देखा कि 2जी स्पेक्ट्रम तथा कोयला खदानों के आवंटन में निजी क्षेत्र किस तरह शासन में बैठे कुछ लोगों के साथ मिलकर करोड़ों-अरबों रुपये के वारे-न्यारे करने में सफल रहा।
भारत में नेताओं, कॉरपोरेट जगत के बडे-बड़े उ।ोगपति तथा बिल्डरों ने देश की सारी सम्पत्ति पर कब्जा करने के लिए आपस में गठजोड़ कर रखा है। इस गठजोड़ में नौकरशाही के शामिल होने, न्यायपालिका की लचर व्यवस्था तथा भ्रष्ट होने के कारण देश की सारी सम्पदा यह गठजोड़ सुनियोजित रूप से लूटकर अरबपति-खरबपति बन गया है।
यह सच है कि आज भी ऐसे बड़े घराने हैं जो जब चाहें किसी भी सीएम और पीएम के यहां जब चाहें दस्तक दें तो दरवाजे उनके लिए खुल जाते हैं। देश में आदर्श सोसायटी घोटाला, टू जी स्पैक्ट्रम, कॉमनवेल्थ घोटाला और कोयला आवंटन को लेकर हुआ घोटाला आदि कारपोरेट घोटाले के उदाहरण हैं।
भारत में भ्रष्टाचार रोकने के लिए बहुत से कदम उठाने की सलाह दी जाती है। उनमें से कुछ प्रमुख हैं-