केंद्रीय शिक्षा परामर्शदाता बोर्ड (सीएबीई) शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकारों को परामर्श देने के लिए गठित सर्वोच्च संस्था है। इसका गठन 1920 में किया गया था और 1923 में व्यय में कमी लाने के लिए इसे भंग कर दिया गया। 1935 में इसे पुनर्गठित किया गया और यह बोर्ड 1994 तक अस्तित्व में रहा। इस तथ्य के बावजूद कि विगत में सीएबीई के परामर्श पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं और शैक्षिक एवं सांस्कृतिक विषयों पर व्यापक विचार-विमर्श एवं परीक्षण हेतु इसने एक मंच उपलब्ध कराया है, दुर्भाग्यवश मार्च, 1994 में बोर्ड के बढ़े हुए कार्यकाल की समाप्ति के बाद इसका पुनर्गठन नहीं किया गया। राष्ट्रीय नीति 1986 में भी यह प्रावधान है कि शैक्षिक विकास की समीक्षा करने तथा व्यवस्था एवं कार्यक्रमों पर नजर रखने के लिए आवश्यक परिवर्तनों को निर्धारण करने में भी सीएबीई की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। यह मानव संसाधन विकास के विभिन्न क्षेत्रें में आपसी तालमेल एवं परस्पर संपर्क सुनिश्चित करने के लिए तैयार की गई उपयुक्त प्रणाली के माध्यम से अपना कार्य करेगा। इसी वजह से सरकार ने जुलाई 2004 में सीएबीई का पुनर्गठन किया और पुनर्गठित सीएबीई की पहली बैठक 10 एवं 11 अगस्त, 2004 को आयोजित की गई। विभिन्न विषयों के विद्वानों के अलावा लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्यगण, केंद्र, राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासनों के प्रतिनिधि इस बोर्ड के सदस्य होते हैं।