भारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति संपूर्ण विश्व की वर्तमान शिक्षा पद्धतियों से एकदम भिन्न थी। प्राचीन भारतीय विद्यालय गुरुकुल कहलाते थे। ये गुरुकुल पारंपरिक आवासीय विद्यालय हुआ करते थे जो कि गुरु के आश्रम से चलाये जाते थे। सभी विद्यार्थी वहां शिक्षा प्राप्त करने के लिए 25 वर्ष की आयु तक रहते थे। विद्यार्थियों को शिष्य कहा जाता था। सभी शिष्य गुरु के आश्रम में एक समान स्तर के माने जाते थे, उनमें किसी आधार पर कोई भेद नहीं होता था। गुरु, महान भारतीय ऋषि और संत हुआ करते थे। गुरुकुल में गुरु के द्वारा आध्यात्मिक शिक्षा, ध्यान, योग, संस्कृति, सदाचार, इतिहास, वैदिक गणित, ज्योतिष, विज्ञान एवं कलाओं, अनेक खेलों, साहित्य, दर्शन, चिकित्सा विज्ञान और युद्ध कलाओं की शिक्षा मुख्य रूप से दी जाती थी। बाद में गुरुकुल की अवधारणा पर भारत में कुछ विश्वविद्यालय स्थापित हुए जिनको विश्व भर में ख्याति प्राप्त हुई। ये विश्वविद्यालय हैं-नालंदा विश्वविद्यालय, तक्षशिला विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय और उज्जैन विश्वविद्यालय।