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Topper यूपीपीसीएस 2019 डिप्टी जेलर पद पर चयन
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सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः यूपीपीसीएस 2019 में शानदार सफलता के लिए आपको हार्दिक बधाई। आपकी सफलता में परिवार, मित्रों व शिक्षकों का सहयोग कैसा रहा? आपकी पृष्ठभूमि ने आपकी सफलता में किस प्रकार योगदान किया?
अभय कुमार सिंहः धन्यवाद। मेरी सफलता में परिवार, मित्रों, शिक्षकों एवं शुभचिंतकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस पत्रिका के माध्यम से मैं सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। पूर्व में मेरे परिवार के लोग सिविल सेवाओं में रहे हैं, उसका भी परीक्षा की तैयारी में मुझे लाभ प्राप्त हुआ।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने परीक्षा की तैयारी आरंभ कैसे की? तैयारी आरंभ करते समय आपने किन पहलुओं पर विशेष रूप से ध्यान दिया? परीक्षा की तैयारी शुरू करने का आदर्श समय क्या होना चाहिए?
अभय कुमार सिंहः मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि ने परीक्षा की तैयारी के लिये प्रेरित किया। साथ ही इलाहाबाद के प्रतियोगी वातावरण ने मुझे प्रोत्साहित किया। तैयारी के पूर्व मैंने समय सीमा का निर्धारण किया; तत्पश्चात पाठ्य सामग्री का चयन किया। सिविल सेवाओं में उच्च सामाजिक बोध की आवश्यकता होती है। ऐसे में स्नातक के पश्चात 2 वर्ष का समय निर्धारित करते हुए तैयारी प्रारम्भ करना उपयुक्त होता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः भाषा माध्यम के कारण क्या आपको कोई लाभ या हानि हुई है? क्या आप मानते हैं कि अंग्रेजी भाषी लाभप्रद स्थिति में होते हैं?
अभय कुमार सिंहः मेरा माध्यम हिन्दी ही रहा है। लेकिन वर्तमान परिस्थिति में अंग्रेजी माध्यम में बेहतर अभिव्यक्ति की जा सकती है, क्योंकि उत्तर संक्षिप्त और सटीक लिखना होता है। ऐसे में अंग्रेजी माध्यम लाभप्रद है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलःआपका वैकल्पिक विषय क्या था? इसके चयन का आधार क्या था? क्या वैकल्पिक विषय के चयन में आपने कथित लोकप्रियता को भी आधार बनाया?
अभय कुमार सिंहः मेरा वैकल्पिक विषय इतिहास था। इतिहास का वैकल्पिक विषय के रूप में चयन दो कारणों से किया गया था। पहला, इतिहास विषय में मेरी व्यक्तिगत रुचि तथा दूसरा कारण आधुनिक इतिहास में परास्नातक होना। सिविल सेवाओं में सफलता हेतु सामाजिक बोध की आवश्यकता होती है और इतिहास के अध्ययन से अतीत के विभिन्न समाजों के तुलनात्मक ज्ञान का लाभ प्राप्त होता है। कथित लोकप्रियता के स्थान पर व्यक्तिगत रुचि और विषय की उपयोगिता अधिक महत्वपूर्ण होती है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः परीक्षा के तीनों चरणों की तैयारी के लिए आप कितना समय उपयुक्त मानते हैं? तीनों चरणों की तैयारी में आपकी समय की रणनीति एक जैसी रही या उसमें बदलाव भी किए?
अभय कुमार सिंहः मेरी समझ से तीनों चरणों की तैयारी के लिए दो वर्ष पर्याप्त होता है। मैंने मुख्य परीक्षा को अधिक समय दिया। 12 से 15 महीने मुख्य परीक्षा हेतु शेष समय प्रारम्भिक और साक्षात्कार के लिए पर्याप्त होता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन की अहमियत बढ़ा दी गई है। इसे पूरी तरह कवर करने व अच्छी तरह तैयार करने का सर्वाेत्तम तरीका क्या हो सकता है? मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के विस्तृत पाठड्ढक्रम को देखते हुए इसकी तैयारी के लिए आपने क्या रणनीति अपनाई? परीक्षा भवन में प्रश्नों को हल करने के लिए क्या आपने कोई विशेष रणनीति अपनाई?
अभय कुमार सिंहः निःसन्देह मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन का आयाम विस्तृत हो गया है। सर्वप्रथम सामान्य अध्ययन के चारों प्रश्न-पत्रों के पाठ्यक्रम की गहरी समझ रखनी चाहिए। किसी एक राष्ट्रीय समाचार पत्र का नियमित अध्ययन और उससे संक्षिप्त नोट्स तैयार करना तथा किसी एक मासिक पत्रिका का अध्ययन एवं नोट्स सामान्य अध्ययन हेतु महत्वपूर्ण है। मैंने समाचार पत्रों एवं पिछले एक वर्ष से क्रॉनिकल मासिक पत्रिका का बिन्दुवार अध्ययन करके नोट्स तैयार किया जो मुख्य परीक्षा हेतु उपयोगी साबित हुए।
परीक्षा भवन में मैंने प्रत्येक प्रश्न के लिए समय निर्धारित किया और उसी अनुरूप उत्तर लिखा। प्रश्नों को समझना और जो पूछा गया उसका सटीक उत्तर देना मेरी मुख्य रणनीति रही।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने अपने नोट्स बनाए? ये नोट्स किस प्रकार उपयोगी रहे? एक ही कोचिंग संस्थान के नोट्स का उपयोग कई छात्र करते हैं। ऐसे में इन नोट्स को औरों से अलग बनाने हेतु आपने क्या रणनीति अपनाई?
अभय कुमार सिंहः हां, मैंने अपने नोट्स बनाए। स्वयं की समझ से बनाया गया नोट्स ही मुख्य परीक्षा में अधिक कारगर होता है। कोचिंग का नोट्स एक फ्रेमवर्क की तरह होता है। प्रतियोगी परीक्षार्थियों को स्वयं के अवबोध स्तर से उसमें कांट-छांट करनी पड़ती है। स्वयं के नोट्स एवं कोचिंग के नोट्स को मिलाकर एक परिष्कृत नोट्स बनाना उपयोगी होता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः नीतिशास्त्र व सत्यनिष्ठा के प्रश्न-पत्र की तैयारी के लिए आपने क्या किया? छात्रों को इस संदर्भ में आप क्या मार्गदर्शन दे सकते हैं?
अभय कुमार सिंहः नीतिशास्त्र व सत्यनिष्ठा का प्रश्न-पत्र मेरे रुचि का प्रश्न-पत्र था। इसके लिए मैंने पी.डी. शर्मा की पुस्तक का अध्ययन किया। प्रत्येक विशेष शब्द का गहन चिन्तन किया और स्वयं से नोट्स भी तैयार किये। इतिहास का छात्र होने के कारण भी इस प्रश्न-पत्र को समझने में आसानी हुई।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने निबंध की तैयारी कैसे की और परीक्षा भवन में इसके चयन और लेखन के लिए क्या रणनीति अपनाई?
अभय कुमार सिंहः निबंध के लिए मैंने विशेष तैयारी नहीं की। समाचार पत्रों के संपादकीय और क्रॉनिकल पत्रिका के आलेखों व निबंधों का अध्ययन कर स्वयं एक समझ विकसित करने का प्रयास किया और समय-समय पर लिखने का अभ्यास भी किया। साहित्य, पर्यावरण, कृषि जैसे मुद्दों पर निबंध भी लिखा।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः उत्कृष्ट उत्तर लेखन शैली क्या होनी चाहिए? इसके लिए आपने तैयारी के दौरान क्या तरीका अपनाया?
अभय कुमार सिंहः प्रश्न की मांग के अनुरूप उत्तर की आपूर्ति ही उत्कृष्ट लेखन शैली है। शब्दों के चयन एवं शब्द सीमा पर विशेष ध्यान रखना पड़ता है। मैंने तैयारी के दौरान मूल शब्दों और विचारों को समझने की कोशिश की। कम पढ़ना और अधिक चिंतन करना मेरी रणनीति का हिस्सा रहा है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने साक्षात्कार की तैयारी कैसे की? आपका साक्षात्कार कैसा रहा? आपसे कैसे प्रश्न पूछे गए? क्या किसी प्रश्न पर आप नर्वस भी हुए?
अभय कुमार सिंहः साक्षात्कार में वैकल्पिक विषय एवं वर्तमान मुद्दों पर परीक्षार्थियों की समझ की क्षमता का परीक्षण किया जाता है। मैंने वैकल्पिक विषय, सामान्य अध्ययन में पूछे गये प्रश्नों एवं समसामायिक घटनाक्रमों का अध्ययन किया। स्वयं से कुछ नोट्स भी बनाए।
साक्षात्कार अच्छा रहा। मुझसे इतिहास विषय, सरकार की योजनाओं एवं उत्तर प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों से संबंधित सवाल किये गये। कुछ सवाल वर्तमान नौकरी से संबंधित भी किये गए। नर्वस जैसी कोई स्थिति नहीं थी। साक्षात्कार सकारात्मक रहा।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने कोचिंग ली? कोचिंग किस प्रकार उपयोगी रही? वैसे छात्र जो तैयारी हेतु कोचिंग की सहायता लेना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सुझाव देंगे?
अभय कुमार सिंहः मैंने कोचिंग नहीं की। स्वयं से ही तैयारी की। मेरी समझ से दो वर्ष स्वयं से कठिन परिश्रम करके एक स्तर प्राप्त करने के पश्चात ही कोचिंग की आवश्यकता हो सकती है। कोचिंग का सहयोग लिया जा सकता है, लेकिन कोचिंग पर पूर्ण निर्भरता उचित नहीं होती।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलःजो छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सुझाव देंगे? यदि कोई ग्रामीण पृष्ठभूमि का या आर्थिक रूप से कमजोर छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करना चाहता हो, तो ऐसे छात्र को क्या करना चाहिए?
अभय कुमार सिंहः सर्वप्रथम छात्र को अपनी अभिरुचि समझनी चाहिए। यदि सिविल सेवा में अभिरुचि हो तभी इस क्षेत्र का चयन करना चाहिए, क्योंकि सिविल सेवा में चयन हेतु अधिक समय, परिश्रम, संघर्ष और संयम की आवश्यकता होती है।
सिविल सेवा में किसी भी पृष्ठभूमि का छात्र सफल हो सकता है। इसके लिए सिर्फ अभिरुचि एवं आत्मविश्वास के साथ परिश्रम की आवश्यकता होती है। समाचार पत्रों का नियमित गहन अध्ययन एवं बिंदुवार नोट्स एवं एनसीईआरटी की पुस्तकों से प्रारम्भ करना उचित होता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सामान्य धारणा यह है कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करने से पूर्व कोई कैरियर विकल्प भी अपने पास रखना चाहिए। क्या आपने भी कोई कैरियर विकल्प रखा था?
अभय कुमार सिंहः प्लान बी रखना उचित हो सकता है लेकिन प्लान बी सम्पूर्ण समर्पण में बाधक भी बन जाता है। मैं JRF के साथ, रिसर्च भी कर रहा हूं और वर्तमान में ज्येष्ठ लेखा परीक्षक के पद पर सेवारत हूं। यही मेरा प्लान बी था, लेकिन प्लान बी, प्लान ए को प्रभावित कर देता है। मेरी समझ से स्नातक के पश्चात दो वर्ष पूर्ण निष्ठा एवं समर्पण के साथ प्लान ए को देने चाहिए। तत्पश्चात ही प्लान बी बनाना चाहिए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः तैयारी में पत्र-पत्रिकाओं से आपको कितनी सहायता मिली? आपने किन पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन किया? सिविल सेवा परीक्षा के लिए इन पत्र-पत्रिकाओं की कितनी उपयोगिता है?
अभय कुमार सिंहः पत्र-पत्रिकाओं की भी विषय सामग्री एवं लेखन शैली हेतु महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मैंने योजना, कुरुक्षेत्र, विज्ञान प्रगति, सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल मासिक का नियमित अध्ययन किया है। पत्र पत्रिकाओं में एक ही स्थान पर समसामयिक घटनाओं का संकलन प्राप्त होता है। अतः तैयारी में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल पत्रिका आपको कैसी लगी? आपकी सफलता में इसका कितना योगदान है? क्या आप इसमें किसी प्रकार के बदलाव की अपेक्षा रखते हैं?
अभय कुमार सिंहः सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल पत्रिका सारगर्भित एवं परीक्षार्थियों के लिए महत्वपूर्ण पत्रिका है। पत्रिका के तथ्य एवं विश्लेषण पद्धतियों ने मुझे बहुत प्रभावित किया। विगत 18 महीनों से मैं इस पत्रिका का नियमित अध्ययन कर रहा हूं। मेरी सफलता में इस पत्रिका का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह पत्रिका वर्तमान परीक्षा के अनुरूप स्वयं में अनेक परिवर्तन लायी है। मुझे उम्मीद है कि परीक्षार्थियों की मांग और परीक्षा के स्वरूप के अनुसार यह पत्रिका स्वयं को संशोधित और परिमार्जित करती रहेगी।