मालदीव और श्रीलंका में खसरा तथा रूबेला उन्मूलन
- 16 Jul 2020
मालदीव और श्रीलंका 8 जुलाई, 2020 को अपने 2023 के लक्ष्य से पहले ही खसरा और रूबेला उन्मूलन करने वाले डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में पहले दो देश बन गए हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य: एक देश को खसरा और रूबेला उन्मूलन के रूप में तब सत्यापित किया जाता है, जब एक अच्छी तरह से प्रदर्शन करने वाली निगरानी प्रणाली की उपस्थिति में तीन साल से अधिक समय तक खसरा और रूबेला वायरस के स्थानिक संचरण का कोई मामला न आया हो।
-
मालदीव ने 2009 में खसरा और अक्टूबर 2015 में रूबेला का अंतिम स्थानिक मामला दर्ज किया था, जबकि श्रीलंका ने मई 2016 में खसरा और मार्च 2017 में रूबेला के अंतिम स्थानिक मामले की सूचना दी थी।
-
भूटान, डीपीआर कोरिया (उत्तरी) और तिमोर-लेस्ते इस क्षेत्र के अन्य देश हैं, जिन्होंने खसरे का उन्मूलन किया है।
-
डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में 11 सदस्य देश हैं - बांग्लादेश, भूटान, डीपीआर कोरिया, भारत, इंडोनेशिया, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड तथा तिमोर-लेस्ते। इस क्षेत्र ने 2023 तक खसरा और रूबेला उन्मूलन का लक्ष्य रखा है।
खसरा और रूबेला: खसरा और रूबेला एक संक्रामक वायरल बीमारी है, जो अक्सर बच्चों में होती है। यह खाँसने और छींकने से एक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलते हैं। इन दोनों बीमारियों को खसरा, कण्ठमाला और रूबेला (Measles, Mumps and Rubella-MMR की दो खुराक से पूरी तरह से रोका जा सकता है।
सामयिक खबरें
- राजनीति और प्रशासन
- अवसंरचना
- आंतरिक सुरक्षा
- आदिवासियों से संबंधित मुद्दे
- कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ
- कार्यकारी और न्यायपालिका
- कार्यक्रम और योजनाएँ
- कृषि
- गरीबी और भूख
- जैवविविधता संरक्षण
- पर्यावरण
- पर्यावरण प्रदूषण, गिरावट और जलवायु परिवर्तन
- पारदर्शिता और जवाबदेही
- बैंकिंग व वित्त
- भारत को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह
- भारतीय अर्थव्यवस्था
- रक्षा और सुरक्षा
- राजव्यवस्था और शासन
- राजव्यवस्था और शासन
- रैंकिंग, रिपोर्ट, सर्वेक्षण और सूचकांक
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी
- शिक्षा
- सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप
- सांविधिक, विनियामक और अर्ध-न्यायिक निकाय
- स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे