समलैंगिक जोड़े तथा लिव-इन पार्टनर सरोगेसी कानूनों में शामिल नहीं
- 12 May 2023
केंद्र सरकार ने 9 मई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट में सरोगेसी अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल किया। केंद्र सरकार ने कहा कि लिव-इन कपल और समलैंगिक जोड़ों को सरोगेसी अधिनियम के दायरे में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
- केंद्र सरकार ने बताया कि सरोगेसी अधिनियम के तहत परिभाषित "युगल" की परिभाषा सही है।
- केंद्र सरकार के अनुसार, लिव इन पार्टनर्स या समलैंगिक जोड़े किसी कानून से बंधे नहीं होते हैं।
- ऐसे में इन मामलों में सरोगेसी के माध्यम से जन्म लेने वाले बच्चों का भविष्य और सुरक्षा हमेशा खतरे में रहेगी।
सरोगेसी अधिनियम, 2021 :- यह अधिनियम सरोगेसी को एक प्रथा के रूप में परिभाषित करता है, जिसमें एक महिला एक इच्छुक जोड़े के लिए एक बच्चे को जन्म देती है, जिसका उद्देश्य जन्म के बाद बच्चे को इच्छुक जोड़े को सौंपना होता है।
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