वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2023
- 27 Jan 2023
11 जनवरी, 2023 को विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2023 (Global Risks Report 2023) जारी की गई।
- इस रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर अगले दो वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं और चरम मौसमी घटनाओं के अपेक्षाकृत अधिक घटित होने की संभावना है|
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- सबसे गंभीर वैश्विक जोखिम: जलवायु परिवर्तन को कम करने में विफलता (Failure to Mitigate Climate Change) तथा जलवायु परिवर्तन अनुकूलन की विफलता (Failure of Climate Change Adaptation) वैश्विक स्तर पर देखी जा रही है, जो अगले एक दशक में सबसे गंभीर वैश्विक जोखिम के रूप में उभर सकती है|
- अगले दो वर्षों में जीवन निर्वाह की लागत (Cost of living) शीर्ष वैश्विक जोखिम के रूप में उभर सकती है, जबकि जलवायु कार्रवाई की विफलता (Climate Action Failure) अगले एक दशक में शीर्ष वैश्विक चुनौती बन सकता है|
- जैव विविधता: वैश्विक स्तर पर जैव विविधता हानि और पारिस्थितिक तंत्र का पतन तेजी से दर्ज किया जा रहा है। इसका कारण जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने (address climate change) से संबंधित जलवायु कार्रवाई की विफलता है|
- उत्सर्जन लक्ष्य तथा वैश्विक तापन: विश्व के विभिन्न देशों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन किया जा रहा है, जिससे वायुमंडल में इनका सांद्रण रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है।
- हरित गृह गैसों के उत्सर्जन कटौती से संबंधित वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करने की संभावना कम है, जिसके कारण वैश्विक तापन के 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित होने की संभावना भी कम है।
- शमन प्रयास: भू-राजनीतिक तनावों तथा संसाधनों की बढ़ती मांग ने शमन (Mitigation) प्रयासों की गति और पैमाने को कम कर दिया है।
- उदाहरण के लिए, रूस-यूक्रेन संघर्ष के चलते यूरोप के विभिन्न देशों ने रूस से पेट्रोलियम पदार्थों के आयात में कमी कर दी है| ऑस्ट्रिया, इटली, नीदरलैंड और फ्रांस जैसे कुछ देशों द्वारा कोयला आधारित विद्युत स्टेशनों को फिर से शुरू किया गया है।
- अधिक प्रभावित देश: प्राकृतिक आपदाओं या चरम मौसमी घटनाओं का प्रभाव निम्न और मध्यम आय वाले देशों पर अधिक होता है।
- भारत सहित लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के विकासशील तटीय देशों के लिए प्राकृतिक आपदाएँ और चरम मौसमी घटनाएँ शीर्ष जोखिम के रूप में उभरी हैं।
भारत विशिष्ट अवलोकन
- चरम मौसमी घटनाएं: 1 जनवरी, 2022 से 30 नवंबर, 2022 के बीच 334 दिनों में से 291 दिन चरम मौसमी घटनाएं दर्ज की गईं।
- इसका अर्थ यह है कि इन 11 महीनों में 87 प्रतिशत से अधिक समय देश के किसी न किसी हिस्से में किसी न किसी प्रकार की चरम मौसमी घटना दर्ज की गई।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तथा मौसमी घटनाओं का अंतर्संबंध: मानव-जनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन ने चरम मौसमी घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि की है। यह चरम घटनाओं तथा मानव जनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के मध्य संबंध को दर्शाता है|
पीटी फैक्ट : विश्व आर्थिक मंच
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