भारत का वैश्विक फार्मास्युटिकल पदचिह्न
- 14 Apr 2025
13 अप्रैल, 2025 को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, रसायन और उर्वरक मंत्रालय का फार्मास्यूटिकल्स विभाग 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत भारत को गुणवत्तापूर्ण दवाओं का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। यह 'मेक इन इंडिया' पहल के अनुरूप है और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने, आयात पर निर्भरता कम करने और निर्यात बढ़ाने के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं, जैसे उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं और प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) की भूमिका पर जोर देता है।
प्रमुख तथ्य और आंकड़े :
- UNICEF का सबसे बड़ा वैक्सीन आपूर्तिकर्ता : भारत पिछले छह से सात वर्षों से UNICEF का सबसे बड़ा वैक्सीन आपूर्तिकर्ता रहा है, जो कुल मात्रा का 55% से 60% योगदान देता है।
- फार्मा और मेडिकल डिवाइस में FDI प्रवाह : वित्तीय वर्ष 2024-25 (अप्रैल से दिसंबर 2024 तक) में फार्मास्यूटिकल्स और मेडिकल डिवाइस क्षेत्रों में ₹11,888 करोड़ का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आया है, और इसी अवधि में ब्राउनफील्ड परियोजनाओं के लिए ₹7,246.40 करोड़ के 13 FDI प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।
- पीएलआई योजना के तहत निवेश (KSMs/DIs/APIs) : सरकार की उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। KSMs, DIs और APIs के लिए पीएलआई योजना के तहत, दिसंबर 2024 तक ₹4,253.92 करोड़ का निवेश प्राप्त हुआ है, जो प्रारंभिक प्रतिबद्धता से अधिक है।
- जन औषधि केंद्रों की संख्या : 8 अप्रैल, 2025 तक देश भर में 15,479 जन औषधि केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं।
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