राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022
- 11 Jan 2023
28 दिसंबर, 2022 को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Science and Technology) द्वारा राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022 (National Geospatial Policy 2022) अधिसूचित की गई। इस नीति को 16 दिसंबर, 2022 को कैबिनेट की मंजूरी प्राप्त हुई थी।
नीति की प्रमुख विशेषताएं
- यह एक 13-वर्षीय दिशानिर्देश है, जिसका उद्देश्य देश के भू-स्थानिक डेटा उद्योग को बढ़ावा देना और नागरिक सेवाओं में सुधार एवं उपयोग हेतु एक राष्ट्रीय ढांचे का विकास करना (To Develop National Framework) है।
- यह नीति वर्ष 2030 तक संपूर्ण देश के लिए एक हाईरेजोल्यूशन स्थलाकृतिक सर्वेक्षण एवं मैपिंग (High Resolution Topographic Survey & Mapping) तथा अधिक सटीकता वाले डिजिटल उन्नयन मॉडल (High accuracy digital elevation model) को विकसित करना चाहती है।
- यह नीति निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बेहतर रूप से परिभाषित कस्टोडियनशिप मॉडल तथा डेटा आपूर्ति श्रृंखला (Custodianship Model and Data Supply Chain) के माध्यम से जिओ-स्पेशियल डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर (Geo-spatial Data Infrastructure) के निर्माण एवं प्रचार की रूपरेखा तैयार करती है।
- इस नीति में राष्ट्रीय स्तर पर भू-स्थानिक डेटा संवर्धन और विकास समिति (Geospatial Data Promotion and Development Committee-GDPDC) नामक शीर्ष निकाय के गठन का उल्लेख किया गया है।
- यह समिति विभिन्न मंत्रालयों में भू-स्थानिक डेटा के उपयोग पर विवरण प्रदान करने तथा विशेष परियोजनाओं पर कार्य करने के लिए निजी स्टार्टअप और कंपनियों के विकास को सक्षम करने के लिए उत्तरदायी होगी।
- यह नीति नेशनल डिजिटल ट्विन (National Digital Twin) के उपयोग की भी चर्चा करती है, जो वास्तविक दुनिया की वस्तुओं को सटीक रूप से प्रतिबिंबित करने के लिए डिजाइन किया गया एक वर्चुअल मॉडल (Virtual Model) है।
- नीति के अंतर्गत 14 राष्ट्रीय मौलिक क्षेत्रीय भू-स्थानिक डेटा थीम (14 National Basic Regional Geospatial Data Themes) के निर्माण की रूपरेखा तैयार की गई है। इसका उपयोग आपदा प्रबंधन, खनन, वानिकी और अन्य क्षेत्रों में वाणिज्यिक भू-स्थानिक डेटा के उपयोग एवं विकास को बढ़ावा देने वाले विभिन्न क्षेत्रों को संबोधित करने के लिए किया जाएगा।
- नीति के माध्यम से सरकार का लक्ष्य है कि वह वर्ष 2005 तक निजी संगठनों एवं कंपनियों के लिए 'बेहतर अवस्थितिक डेटा' (Advanced Location Data) की उपलब्धता एवं पहुंच में सुधार करे।
- सरकार एक एकीकृत डेटा और सूचना ढांचा स्थापित करने का विचार कर रही है, जिसके तहत वर्ष 2030 तक भू-स्थानिक ज्ञान अवसंरचना (Geospatial Knowledge Infrastructure-GKI) का विकास किया जाएगा।
क्या है भू-स्थानिक डेटा?
- यह एक समय आधारित डेटा होता है, जिसे पृथ्वी की सतह पर किसी विशेष स्थान से संबंधित माना जाता है।
- इसके माध्यम से किसी निश्चित समय में पृथ्वी के किसी निश्चित स्थान पर वस्तुओं, घटनाओं अथवा अन्य विशेषताओं का स्पष्ट अवस्थिति के साथ वर्णन किया जा सकता है।
- सामान्य रूप से, भू-स्थानिक डेटा किसी स्थान की जानकारी (पृथ्वी के अक्षांश एवं देशांतर की सटीक स्थिति) से संबंधित होता है। इसमें स्थान विशेष की विशेषताओं (वस्तु अथवा घटना) तथा समय अवधि संबंधी विशेषताएं शामिल होती हैं।
- रिमोट सेंसिंग (Remote Sensing), भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS), ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) तथा इंटरनेट मैपिंग टेक्नोलॉजी (Internet Mapping Technology) भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों के प्रमुख उदाहरण हैं।