सामाजिक प्रगति सूचकांक
- 07 Jan 2023
20 दिसंबर, 2022 को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के अध्यक्ष डॉ. बिबेक देबरॉय द्वारा ‘सामाजिक प्रगति सूचकांक : भारत के राज्य एवं जिले’ (Social Progress Index : States and Districts of India) नामक रिपोर्ट जारी की गई।
- सूचकांक का विकास: यूएस-आधारित गैर-लाभकारी संस्था 'सोशल प्रोग्रेस इम्पेरेटिव' (Social Progress Imperative) तथा 'इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस' (Institute for Competitiveness) द्वारा विकसित।
सूचकांक के बारे में
- सामाजिक प्रगति सूचकांक, सामाजिक प्रगति के 3 महत्वपूर्ण आयामों- बुनियादी मानव आवश्यकताओं (Basic Human Needs), कल्याण के आधार (Foundations of Wellbeing) तथा अवसर (Opportunity) में 12 घटकों के आधार पर राज्यों और जिलों का आकलन करता है।
- सूचकांक एक व्यापक ढांचे का उपयोग करता है जिसमें राज्य स्तर पर 89 संकेतक और जिला स्तर पर 49 संकेतक शामिल हैं।
- एसपीआई स्कोर के आधार पर, राज्यों और जिलों को सामाजिक प्रगति के 6 स्तरों के तहत रैंक प्रदान की गई है। ये 6 स्तर हैं-
- टीयर 1: बहुत उच्च सामाजिक प्रगति;
- टीयर 2: उच्च सामाजिक प्रगति;
- टीयर 3: ऊपरी मध्य सामाजिक प्रगति;
- टीयर 4: निम्न मध्य सामाजिक प्रगति,
- टीयर 5: कम सामाजिक प्रगति और
- टीयर 6: बहुत कम सामाजिक प्रगति।
प्रमुख निष्कर्ष
- पुडुचेरी का देश में उच्चतम एसपीआई स्कोर 65.99 है, जिसका श्रेय व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद, आश्रय, और जल और स्वच्छता जैसे घटकों में इसके उल्लेखनीय प्रदर्शन को दिया जाता है। लक्षद्वीप और गोवा क्रमशः 65.89 और 65.53 के स्कोर के साथ दुसरे एवं तीसरे स्थान पर हैं। झारखंड और बिहार ने सबसे कम (क्रमशः 43.95 और 44.47) स्कोर हासिल किया है।
- पिछले एक दशक में भारत ने उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति की है। वर्ष 2011-12 से 2020-21 तक प्रति व्यक्ति जीडीपी में 39.7 से अधिक की वृद्धि हुई है।
- भारत, वर्तमान में सामाजिक प्रगति सूचकांक में 60.19/100 के स्कोर के साथ विश्व में 110वें स्थान पर है।
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