बहु-राज्य सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक, 2022
- 26 Dec 2022
7 दिसंबर, 2022 को बहु-राज्य सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक, 2022 (Multi-State Co-operative Societies Act, 2022) लोक सभा में पेश किया गया। विधेयक में 2011 के 97वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम के आलोक में 'बहु-राज्य सहकारी समितियां अधिनियम, 2002' (Multi-State Co-operative Societies Act, 2002) को संशोधित करने का प्रस्ताव किया गया है।
- वर्ष 2021 में केंद्र सरकार द्वारा पृथक रूप से एक केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया, पूर्व में इसके शासनादेशों की देख-रेख कृषि मंत्रालय द्वारा की जाती थी।
सहकारी समितियों के संदर्भ में
- परिभाषा: अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (The International Cooperative Alliance-ICA) द्वारा एक सहकारी समिति को 'सामूहिक स्वामित्त्व वाले तथा लोकतांत्रिक रूप से नियंत्रित उद्यम के माध्यम से अपनी आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं की पूर्ति हेतु स्वैच्छिक रूप से एकजुट व्यक्तियों के स्वायत्त संघ' के रूप में परिभाषित किया गया है।
- उद्देश्य: पारस्परिक एवं स्व-सहायता सिद्धांत (Mutualism and Self-help theory) के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों की सेवा करना तथा उनके हितों की रक्षा करना।
- बहु-राज्य सहकारी समितियाँ: संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार सहकारी समितियाँ एक राज्य का विषय मानी जाती हैं। किंतु, अनेक ऐसी सहकारी समितियां हैं जिनके सदस्य एवं संचालन का क्षेत्र एक से अधिक राज्यों में विस्तृत है (उदाहरण: चीनी संघ, दूध संघ तथा दूध बैंक आदि)।
- कानूनी प्रावधान: इस प्रकार की बहु-राज्य सहकारी समितियों का संचालन करने के लिए MSCS अधिनियम, 2002 पारित किया गया था। वर्तमान विधेयक इसी अधिनियम में संशोधन हेतु लाया गया है।
संवैधानिक प्रावधान
- संवैधानिक संशोधन: 97वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम के माध्यम से संविधान में भाग IXB को शामिल किया गया था, जिसमें सहकारी समितियों से संबंधित प्रावधान हैं।
- मूल अधिकार का दर्जा: इसी संशोधन के माध्यम से संविधान के भाग III के अंतर्गत अनुच्छेद 19(1)(c) में 'संघ और संगठन' के पश्चात 'सहकारिता' शब्द को शामिल किया गया था। यह प्रावधान भारतीय नागरिकों को सहकारी समितियाँ बनाने के अधिकार को मौलिक अधिकार (Fundamental Right) का दर्जा प्रदान करता है।
- राज्य पर उत्तरदायित्व: इसी प्रकार, 97वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा ही राज्य के नीति निदेशक तत्त्वों (भाग IV) में 'सहकारी समितियों के प्रचार' के संबंध में एक नए अनुच्छेद 43B को भी शामिल किया गया था।
बहुराज्य सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक-2022 के महत्वपूर्ण प्रावधान
- सहकारी चुनाव प्राधिकरण: विधेयक के अंतर्गत सहकारी क्षेत्र में 'चुनावी सुधार' (Election reform) लाने के लिए एक 'सहकारी चुनाव प्राधिकरण' (Co-operative election authority) स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है। प्राधिकरण में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और केंद्र द्वारा नियुक्त किए जाने वाले अधिकतम तीन सदस्य होंगे।
- एक कोष की स्थापना और समवर्ती लेखापरीक्षा: विधेयक 'बीमार बहु-राज्य सहकारी समितियों' (Sick multi-state co-operative societies) के पुनरुद्धार हेतु 'सहकारी पुनर्वास, पुनर्निर्माण और विकास निधि' (Cooperative Rehabilitation, Reconstruction and Development Fund) की स्थापना से संबंधित एक नई धारा (New Section) को शामिल करने का प्रस्ताव करता है। ऐसी बहुराज्य सहकारी समितियों, जिनका वार्षिक कारोबार केंद्र द्वारा निर्धारित राशि से अधिक होता है, के लिए 'समवर्ती लेखापरीक्षा' (Concurrent audit) के प्रावधान शामिल किए गए हैं।
- शिकायत निवारण: विधायक में एक अध्याय 'शिकायत निवारण' से संबंधित है। इसमें सदस्यों की शिकायतों की जांच करने के लिए एक निश्चित क्षेत्राधिकार के साथ एक या अधिक 'सहकारी लोकपाल' (Co-operative ombudsman) नियुक्त करने का प्रस्ताव है।
- लोकपाल की भूमिका: यह प्रस्ताव है कि, लोकपाल शिकायत प्राप्त होने की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर जांच और अधिनिर्णय की प्रक्रिया को पूरा करेगा, साथ ही लोकपाल द्वारा जांच के दौरान समिति को आवश्यक निर्देश जारी किए जा सकते हैं।
- मौद्रिक दंड और कारावास: विधेयक में कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए बहु-राज्य सहकारी समितियों पर मौद्रिक दंड को अधिकतम 1 लाख रुपये तक बढ़ाने का भी प्रस्ताव किया गया है। इसी प्रकार, प्रस्तावित संशोधनों में कारावास की अवधि को वर्तमान में अधिकतम छह माह से बढ़ाकर एक वर्ष तक करने का प्रस्ताव है।
- सहकारी सूचना अधिकारी: विधेयक के अंतर्गतत बहु-राज्य सहकारी समितियों के सदस्यों एवं मामलों के प्रबंधन की जानकारी प्रदान करने के लिए 'सहकारी सूचना अधिकारी' (Co-operative information officer) की नियुक्ति करने का भी प्रस्ताव है।