ई-कॉमर्स उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा हेतु रूपरेखा
- 07 Dec 2022
हाल ही में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के उपभोक्ता मामलों के विभाग ने ई-कॉमर्स (E-commerce) में फर्जी एवं भ्रामक समीक्षाओं (fake and deceptive reviews) से उपभोक्ता हितों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए एक रूपरेखा का शुभारंभ किया।
प्रमुख दिशानिर्देश
- स्वैच्छिक कार्रवाई: अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर पेश किए जाने वाले उत्पादों एवं सेवाओं से संबंधित सभी सशुल्क उपभोक्ता समीक्षाओं का स्वेच्छा से खुलासा करना होगा।
- पहचान: समीक्षाओं (Reviews) को भ्रामक(misleading) नहीं होना चाहिए और समीक्षकों की अनुमति के बिना उनकी पहचान का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए।
- खरीदी गई समीक्षा: अगर कोई समीक्षा खरीदी जाती है या समीक्षा लिखने के लिए व्यक्ति को पुरस्कृत किया जाता है, तो उसे स्पष्ट रूप से खरीदी गई समीक्षा (Purchased Review) के रूप में चिह्नित करना होगा।
- आवेदन पत्र: मानक IS 19000 : 2022, उन सभी संगठनों पर लागू होगा, जो उपभोक्ता समीक्षाओं को ऑनलाइन प्रकाशित करते हैं। इनमें उत्पादों एवं सेवाओं के आपूर्तिकर्ता शामिल होंगे जो अपने ग्राहकों, आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अनुबंधित तृतीय पक्षों या स्वतंत्र तृतीय पक्षों से समीक्षा एकत्र करते हैं।
- परिभाषा: भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा समीक्षाओं को अनुरोधित और अवांछित के रूप में परिभाषित किया गया है। किसी भी संगठन में समीक्षा को संभालने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को समीक्षा प्रशासक कहा जाएगा।
- समय-सीमा: यदि किसी उत्पाद को 4-5 स्टार रेटिंग मिलती है, तो संगठन को डेटा एकत्र करने वाली अवधि की सूचना देनी होगी।
भारतीय ई-कॉमर्स क्षेत्र
- वर्ष 2020 में 50 बिलियन डॉलर के कारोबार के साथ, भारत ई-कॉमर्स के लिए 8वां सबसे बड़ा बाजार बन गया है।
- भारतीय ई-कॉमर्स क्षेत्र वर्ष 2027 में 26.93 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2021 में 3.95 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- भारत की उपभोक्ता डिजिटल अर्थव्यवस्था (consumer digital economy) के 2030 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का बाजार बनने की उम्मीद है, जो 2020 में 537.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।
- व्यावसायिक सेवा कंपनी ग्रांट थॉर्नटन के अनुसार, वर्ष 2025 तक भारत में ई-कॉमर्स का मूल्य 188 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है।
ई-कॉमर्स से जुड़ी चुनौतियां
- ठोस विनियामक प्रणाली का अभाव: भारत में वर्तमान में भी ई-कॉमर्स फर्मों के लिए किसी ठोस विनियामक प्रणाली का अभाव है, इन्हें कई मंत्रालयों द्वारा विनियमित किया जाता है।
- डेटा की सुरक्षा: ई-कॉमर्स कंपनियों के संबंध में डेटा की निजता (Data Privacy) को लेकर भी सवाल उठाए जाते हैं, कुछ लोगों मानना है कि ये कंपनियां उनका व्यक्तिगत डेटा कलेक्ट कर रही हैं, जो कि चिंता की बात है।
- असमान प्रतिस्पर्धा: ठोस विनियामक प्रणाली के अभाव की वज़ह से छोटे और मझोले उद्योगों को इन ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ असमान प्रतिस्पर्धा की समस्या का सामना भी करना पड़ता है|
- फेक रिव्यू: ई-कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट पर फेक रिव्यू के बढ़ते मामले भी देखे जाते हैं। यह उपभोक्ताओं के किसी वस्तु को खरीदने के निर्णय को प्रभावित करता है।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)
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