पीएसएलवी-सी54 के जरिये ईओएस-06 सहित 9 उपग्रहों का प्रक्षेपण
- 06 Dec 2022
26 नवंबर, 2022 को इसरो ने पीएसएलवी-सी54 से ईओएस-06 (EOS-06) उपग्रह तथा 8 नैनो-उपग्रहों को एक साथ दो अलग-अलग कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित किया। यह मिशन सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पूरा किया गया।
- यह पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) की 56वीं उड़ान तथा PSLV-XL संस्करण की 24वीं उड़ान थी।
EOS-06 उपग्रह
- यह ओशनसैट श्रृंखला में तीसरी पीढ़ी का उपग्रह है, इसी कारण से इस उपग्रह को ओशनसैट-3.0 (Oceansat-3) का नाम भी दिया गया है, जो एक प्रकार का भू-प्रेक्षण उपग्रह (Earth Observation Satellite) है|
- EOS-06 उपग्रह में ओशन कलर मॉनिटर (Ocean Color Monitor-3 या OCM-3), सी सरफेस टेम्परेचर मॉनिटर (Sea Surface Temperature Monitor - SSTM), Ku-बैंड स्कैटरोमीटर (SCAT-3) जैसे महत्वपूर्ण पेलोड हैं।
ईओएस-06 के अतिरिक्त 8 अन्य उपग्रह | ||
उपग्रह | संख्या | निर्माता |
इसरो नैनो सैटेलाइट-2 (INS-2B) | 1 | यू आर राव उपग्रह केंद्र/इसरो |
आनंद (Anand) नैनो उपग्रह | 1 | बेंगलुरू स्थिति निजी कंपनी पिक्सेल (Pixxel) |
एस्ट्रोकास्ट उपग्रह (Astrocast) | 4 | अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी स्पेसफ्लाइट (Spaceflight) |
थायबोल्ट (Thybolt) उपग्रह | 2 | भारतीय निजी एयरोस्पेस निर्माता ध्रुव स्पेस लिमिटेड |
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु
- आईएनएस-2बी (INS-2B): आईएनएस-2बी नामक नैनो सैटेलाइट भारत और भूटान के मध्य सहयोग मिशन है।
- आनंद (Anand): यह ‘थ्री एक्सिस स्टेबलाइज़्ड’ (Three Axis Stabilized) नैनो उपग्रह है, जो लघुकृत इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल पेलोड (miniaturized electro-optical payload) के लिए एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक है।
- एस्ट्रोकास्ट (Astrocast): यह इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के लिए एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह है।
भू-प्रेक्षण उपग्रह
- इसरो ने वर्ष 1988 में आई.आर.एस.-1ए को प्रक्षेपित किया था, इसके पश्चात इसरो द्वारा कई सुदूर संवेदन उपग्रहों का प्रमोचन किया गया है।
- वर्तमान में भारत के पास सबसे बड़ी संख्या में प्रचालनरत सुदूर संवेदन उपग्रहों का समूह है।
- इनमें रिसोर्ससैट-1 और 2, 2ए, कार्टोसैट-1 एवं 2, 2ए, 2बी, रीसैट-1 एवं 2, ओशनसैट-2, मेघा-ट्रापिक्स, सरल आदि उल्लेखनीय है।
- इन उपग्रहों से प्राप्त आंकड़ों का प्रयोग विभिन्न अनुप्रयोगों जैसे कृषि, जल संसाधन, शहरी योजना, ग्रामीण विकास, खनिज संभावना, पर्यावरण, वानिकी, समुद्री संसाधन तथा आपदा प्रबंधन में किया जाता है।