अरिट्टापट्टी जैव विविधता विरासत स्थल
- 28 Nov 2022
22 नवंबर, 2022 को तमिलनाडु सरकार द्वारा एक अधिसूचना जारी कर मदुरै जिले के अरिट्टापट्टी और मीनाक्षीपुरम गांवों को राज्य का पहला जैव विविधता विरासत स्थल (Biodiversity Heritage Site) घोषित किया गया।
- यह तमिलनाडु का पहला और भारत का 35वाँ जैव विविधता विरासत स्थल है।
- इसे अरिट्टापट्टी जैव विविधता विरासत स्थल (Arittapatti Biodiversity Heritage site) के रूप में जाना जाएगा।
अरिट्टापट्टी जैव विविधता विरासत स्थल से संबंधित मुख्य तथ्य
- क्षेत्र एवं विस्तार: अरिट्टापट्टी जैव विविधता विरासत स्थल का विस्तार 193.42 हेक्टेयर क्षेत्र पर होगा, जिसके अंतर्गत अरिट्टापट्टी गांव (मेलूर ब्लॉक) का 139.63 हेक्टेयर क्षेत्र तथा मीनाक्षीपुरम गांव (पूर्वी मदुरै तालुक) का 53.8 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल होगा।
- कानूनी आधार: इसे जैव विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 37 (Section 37 of the Biological Diversity Act, 2002) के तहत जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया गया है।
- स्थानिक जैव विविधता: अरिट्टापट्टी गांव अपने पारिस्थितिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है| यहाँ पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियां पाई जाती हैं| यह भारतीय पैंगोलिन, स्लेंडर लोरिस और अजगर जैसे वन्यजीवों का भी निवास स्थल है।
- इनमें तीन महत्वपूर्ण शिकारी पक्षियों (raptors) लैगर फाल्कन (Laggar Falcon), शाहीन फाल्कन (Shaheen Falcon) और बोनेली ईगल (Bonelli’s Eagle) की प्रजाति पाई जाती हैं।
- ऐतिहासिक महत्व: यहाँ की कई महापाषाण संरचनाएं (megalithic structures), रॉक-कट मंदिर (Rock-Cut Temples), तमिल ब्राह्मी शिलालेख (Tamil Brahmi inscriptions) और जैन संस्तर (Jain beds) इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को बढ़ाते हैं।
महत्व
- विशिष्ट पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा: किसी क्षेत्र को जैव विविधता विरासत स्थल के रूप में अधिसूचित करने से इसके समृद्ध और विशिष्ट पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करने में मदद मिलती है।
- संरक्षण पहल का पूरक: यह कदम इस क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों के संरक्षण के विभिन्न पहलों के पूरक का कार्य करेगा और जैव विविधता को नुकसान पहुंचाने वाले कारकों का निवारण किया जा सकेगा|
- जल संभरण (Watershed): यह क्षेत्र सात पहाड़ियों या इंसेलबर्ग की एक श्रृंखला से घिरा हुआ है जो जल संभरण (Watershed) के रूप में काम करता है| इस क्षेत्र द्वारा 72 झीलों, 200 प्राकृतिक झरनों और तीन चेक डैम को जल प्राप्ति होती है।
- 16वीं शताब्दी में पांडियन राजाओं के शासनकाल के दौरान निर्मित एनाइकोंडन टैंक (Anaikondan tank) उनमें से एक है।
जैव विविधता विरासत स्थल
- जैव विविधता विरासत स्थल एक विशिष्ट पारिस्थितिक तंत्र होते हैं, जिनकी अपनी अनूठी पारिस्थितिक विशेषताएं होती हैं| यह स्थलीय, तटीय एवं अंतर्देशीय जल क्षेत्र हो सकता है, जहाँ समृद्ध जैव विविधता पाई जाती है| इस प्रकार के स्थल पर दुर्लभ एवं संकटग्रस्त, कीस्टोन वन्य प्रजातियां पाई जाती हैं।
- जैव विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 37(1) में यह प्रावधान किया गया है कि राज्य सरकार स्थानीय निकायों के परामर्श से जैव विविधता के अधिक महत्व वाले क्षेत्रों को “जैव विविधता विरासत स्थल” अधिसूचित कर सकती है।
- किसी स्थल को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित करने का उद्देश्य संरक्षण उपायों के माध्यम से स्थानीय समुदायों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करना है।
- किसी स्थान को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित कर देने से स्थानीय समुदायों की प्रचलित प्रथाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाता है।