जनजातीय गौरव दिवस तथा बिरसा मुंडा
- 18 Nov 2022
15 नवंबर, 2022 को बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर पूरे देश में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया गया।
- सरकार ने बहादुर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में 15 नवंबर को 'जनजातीय गौरव दिवस' मनाए जाने की घोषणा पिछले साल 10 नवंबर, 2021 को की थी।
- बिरसा मुंडा को देश भर के जनजातीय समुदाय द्वारा भगवान के रूप में सम्मान दिया जाता है।
जीवन परिचय
- बिरसा मुंडा देश के एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और श्रद्धेय जनजातीय नायक थे, जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार की शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी।
- उनका जन्म 15 नवंबर, 1875 को तत्कालीन बंगाल प्रेसीडेंसी के लोहारदगा जिले के उलिहतु गांव (जो वर्तमान में झारखंड के खुंटी जिले में स्थित है) में हुआ था।
- बिरसा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने शिक्षक जयपाल नाग के मार्गदर्शन में प्राप्त की। जयपाल नाग की सिफारिश पर, बिरसा ने जर्मन मिशन स्कूल में शामिल होने के लिए ईसाई धर्म अपना लिया।
- ब्रिटिश औपनिवेशिक शासकों तथा मिशनरियों द्वारा आदिवासियों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के मिशनरियों के प्रयासों के बारे में जानने के पश्चात बिरसा ने ‘बिरसैत’ (Birsait) की आस्था शुरू की।
- जल्द ही मुंडा और उरांव समुदाय के सदस्य बिरसैत संप्रदाय में शामिल होने लगे तथा धर्मांतरण गतिविधियों को रोकने का प्रयास किया।
योगदान
- 1886 से 1890 की अवधि के दौरान, बिरसा मुंडा ने ‘चाईबासा’(Chaibasa) में काफी समय बिताया, जो ‘सरदारों के आंदोलन’(sardar's Agitation) के करीब था।
- सरदारों के इस आंदोलन का युवा बिरसा के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा, जिससे प्रभावित होकर उन्होंने मिशनरी विरोधी और सरकार विरोधी प्रदर्शनों की तैयारी प्रारंभ की।
- बिरसा ने आदिवासियों को ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा कृषि भूमि पर कब्जे के माध्यम से किए जा रहे शोषण के संबंध में जागरूक करने का प्रयास किया ताकि उन्हें क्रांतिकारी संघर्ष के लिए तैयार किया जा सके।
- मिशनरियों तथा ब्रिटिश सरकार का विरोध करने के कारण बिरसा को 24 अगस्त, 1895 को गिरफ्तार कर लिया गया तथा दो साल की कैद की सजा सुनाई गई। 28 जनवरी, 1898 को जेल से रिहा होने के पश्चात उन्होंने अपने अनुयायियों को संघर्ष के लिए एकत्रित करना प्रारंभ किया।
- उन्होंने जनजातियों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों को समझने और एकता का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
उलगुलान विद्रोह
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