गुरु नानक देव जी की 553वीं जयंती
- 11 Nov 2022
8 नवंबर, 2022 को विश्व भर में गुरु नानक देव जी की 553वीं जयंती मनाई गई। गुरु नानक जयंती को प्रकाश उत्सव या गुरु पूरब के नाम से भी जाना जाता है।
- इसे प्रति वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिख संस्थापक गुरु नानक देव जी की जन्म वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है।
- इस दिन दुनिया भर के सिख, गुरु नानक देव जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिनका जन्म 1469 ईस्वी में वर्तमान पाकिस्तान में लाहौर के निकट ननकाना साहिब में हुआ था। ननकाना साहिब को पहले 'राय-भोई-दी-तलवंडी' के नाम से जाना जाता था।
गुरु नानक के बारे में
- गुरु नानक देव जी, सिखों के 10 गुरुओं में से पहले हैं। उनके पिता का नाम मेहता कालू जी और माता का नाम तृप्ता था।
- उनकी शिक्षाओं को सिखों की पवित्र पुस्तक ‘गुरु ग्रंथ साहिब’में संकलित किया गया है।
- गुरु नानक ने ‘मानवता की एकता’(Oneness of Humanity) की शिक्षा दी। गुरु नानक ने कहा कि “अपने अंदर प्रभु के प्रकाश को पहचानो तथा सामाजिक वर्ग या स्थिति पर विचार मत करो क्योंकि दुनिया में कोई सामाजिक वर्ग या जाति नहीं है”।
- गुरु नानक देव जी ने ईश्वर के एकता और पवित्रता के संदेश को फैलाने के लिए हजारों मील की यात्रा की थी। पंजाब के अपने जन्मस्थान से, गुरु नानक ने मध्य-पूर्व, यूरोप और पूर्वी एशिया के कई देशों तक पैदल यात्रा की थी।
- अपने वफादार अनुयाई मर्दाना के साथ गुरु नानक मक्का, तिब्बत तथा तुर्की की यात्रा पर गए थे।
- अलग-अलग संस्कृतियों में गुरु नानक देव को अलग-अलग नामों से संबोधित किया जाता है। अफगानिस्तान में उन्हें आमतौर पर नानक पीर, नेपाल में नानक ऋषि, इराक में बाबा नानक, श्रीलंका में नानक-चर्या और तिब्बत में नानक लामा के नाम से भी जाना जाता है।
सिख धर्म
- सिख धर्म ने सामाजिक पहचान पर आधारित विभाजन का विरोध किया तथा मानवता की एकता का संदेश दिया।
- सिख धर्म ने भारत में लंगर प्रथा का प्रारंभ किया, जिसमें जाति, धर्म तथा नस्ल आधारित भेदभाव को अस्वीकार कर सभी को भोजन खिलाने की परंपरा की शुरुआत की गई, जो वर्तमान में पूरे विश्व में प्रचलित है।
- सिख धर्म में अनुयायियों को किसी भी आपातकालीन स्थिति में लोगों को सेवा प्रदान करने की शिक्षा दी जाती है। इसी शिक्षा से प्रेरणा लेकर सिख धर्म के अनुयायी आपदा के दौरान दुनिया के प्रत्येक कोने में जाकर ‘स्वार्थरहित’(Selfless) सेवा प्रदान करते हैं।