भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड
- 28 Oct 2022
1 अक्टूबर, 2022 को भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (Insolvency and Bankruptcy Board of India) की छठी वर्षगांठ मनाई गई|
- इस मौके पर केंद्रीय वित्त मंत्री ने दिवाला और दिवालियापन संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code) के तहत समाधान प्रक्रिया से गुजरने वाले ऋणों पर बैंकों द्वारा भारी कटौती करने पर चिंता व्यक्त की।
दिवाला और दिवालियापन संहिता
- इसे 2016 को संसद के एक अधिनियम के माध्यम से लागू किया गया था तथा इसे मई 2016 में राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी।
- यह दिवालियेपन की समस्या को हल करने के लिए एक समयबद्ध प्रक्रिया प्रदान करता है।
- इस संहिता का उद्देश्य छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा करना और व्यवसाय करने की प्रक्रिया को कम बोझिल बनाना है।
- इस संहिता में 255 खंड और 11 अनुसूचियां हैं।
- इसका उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली को प्रभावित करने वाली खराब ऋण समस्याओं से निपटना था।
- कंपनियों को आईबीसी के तहत 180 दिनों के भीतर दिवाला प्रक्रिया पूरी करनी होती है।
- यदि लेनदारों ने विस्तार पर आपत्ति नहीं जताई तो समय सीमा बढ़ाई जा सकती है।
- 1 करोड़ रुपये के वार्षिक टर्नओवर वाले स्टार्टअप सहित छोटी कंपनियों के लिए, दिवालियेपन की पूरी कवायद 90 दिनों में पूरी की जानी चाहिए और समय सीमा को 45 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।
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