आक्रामक प्रजातियों से पश्चिमी घाट के वन्यजीव पर्यावास को खतरा
- 05 May 2022
केरल वन विभाग के सहयोग से एक नेचर कंजर्वेशन सोसाइटी 'फर्न्स' द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन के अनुसार आक्रामक प्रजातियां अब पश्चिमी घाट के सबसे प्रतिष्ठित वन्यजीव आवासों में फैल गई हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य: यह स्थानीय वनस्पतियों को नुकसान पहुंचाकर हाथियों, हिरणों, गौर और बाघों के आवासों को नष्ट कर रही है।
- वायनाड वन्यजीव अभयारण्य सहित नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व के वन क्षेत्रों में आक्रामक पौधों, विशेष रूप से 'सेना स्पेक्टैबिलिस' (Senna spectabilis) की वृद्धि, वन्यजीव आवासों के संरक्षण के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
- वायनाड वन्यजीव अभयारण्य का लगभग 23% क्षेत्र सेना स्पेक्टैबिलिस से प्रभावित है। अभयारण्य के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में एक हेक्टेयर में 1,305 पेड़ पाए गए हैं।
- निकटवर्ती टाइगर रिजर्व में भी ये प्रजातियां लगभग समान दर से फैल रही हैं। कर्नाटक और तमिलनाडु में भी लगभग यही स्थिति है।
- 'सेना स्पेक्टैबिलिस' का उन्मूलन वायनाड वन्यजीव अभयारण्य की वन प्रबंधन योजना का एक प्रमुख हिस्सा है, लेकिन अभी तक इसमें कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हुआ है।
- कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों में निकटवर्ती टाइगर रिजर्व के अधिकारियों द्वारा एक दीर्घकालिक संयुक्त अभियान खतरे को खत्म करने का एकमात्र संभावित समाधान है।
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